पिछले 13 महीने से ब्रिटेन में शरण लिए भारत के भगोड़े शराब व्यापारी विजय माल्या को मंगलवार(18 अप्रैल) को लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इसके तीन घंटे बाद ही वेस्टमिंस्टर कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई। शराब कारोबारी विजय माल्या 17 बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये कर्ज लेकर फरार हैं। उन्हें धोखाधड़ी के मामले में प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार के आग्रह पर गिरफ्तार किया गया।
माल्या की गिरफ्तारी के बाद जमानत और फिर ब्रिटेन में कानूनी प्रक्रिया शुरू करने के बारे में कानून के जानकारों का मानना है कि भारत के भगोड़े विजय माल्या का प्रत्यर्पण इतना आसान नहीं होगा। जानकार मानते हैं कि माल्या की गिरफ्तारी को हम एक शुरुआत भर मान सकते हैं। प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में लंबा वक्त लग सकता है।
सीनियर वकील केटीएस तुलसी का कहना है कि भारत सरकार ने माल्या के खिलाफ सबूत भेज दिए हैं और अदालतें इसका आकलन करेंगी कि क्या ये सबूत माल्या को वापस भेजे जाने की इजाजत देने के लिए पर्याप्त हैं।
उन्होंने कहा कि जब प्रत्यपर्ण का आग्रह होता है, तो आमतौर पर जमानत 60 दिनों के बाद मिलती है, लेकिन माल्या को गिरफ्तारी वाले दिन ही जमानत मिल गई। वहीं, वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे का कहना है कि ब्रिटेन में अदालतें बहुत स्वतंत्र हैं और प्रत्यर्पण को आसानी से स्वीकृति नही देतीं।
बता दें कि ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि के बावजूद पिछले पांच साल में केवल एक आरोपी का ही प्रत्यर्पण संभव हो पाया है। माल्या समेत दस मामले अभी ब्रिटेन के पास लंबित हैं, जबकि छह मामलों को खारिज कर चुका है। सूत्रों ने कहा ब्रिटेन के जटिल नियमों के चलते भारत को अभी इस मामले में कड़ी मशक्कत करनी होगी।
सूत्र मानते हैं कि माल्या को भारत लाने के लिए जटिल कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ब्रिटेन ने भारत को प्रत्यर्पण के मामले में द्वितीय श्रेणी के देशों में रखा है। इसके तहत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कठोर और लंबी है। बता दें कि ब्रिटेन के साथ भारत के करीब 10 भगोड़े अपराधियों का प्रत्यर्पण का मामला पहले से लंबित है।