
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि क्रिकेट एसोसियेशन ऑफ उत्तराखंड के एक प्रतिनिधिमंडल के इस संबंध में मुख्यमंत्री से मिलने के बाद इस जांच के आदेश दिए गए। बता दें कि, खिलाडियों के चयन में धार्मिक भेदभाव का आरोप लगने के बाद भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने आठ फरवरी को उत्तराखंड की सीनियर पुरूष क्रिकेट टीम के हेड कोच पद से इस्तीफा दे दिया था।
जाफर पर उत्तराखंड के कोच के कार्यकाल के दौरान धर्म आधारित चयन को बढ़ावा देने का प्रयास करने का आरोप लगा है। राज्य संघ से विवाद के बाद उत्तराखंड के कोच का पद छोड़ने वाले जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट संघ (सीएयू) के अधिकारियों के इन आरोपों को खारिज किया है कि उन्होंने टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों का पक्ष लिया।
भारत के लिए 31 टेस्ट खेलने वाले जाफर ने कहा था कि टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों को तरजीह देने के सीएयू के सचिव माहिम वर्मा के आरोपों से उन्हें काफी तकलीफ पहुंची। जाफर ने चयन में दखल और चयनकर्ताओं तथा संघ के सचिव के पक्षपातपूर्ण रवैये को लेकर मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था।
जाफर ने आनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में बुधवार को कहा, ‘‘जो कम्युनल एंगल लगाया, वह बहुत दुखद है। उन्होंने आरोप लगाया कि मैं इकबाल अब्दुल्ला का समर्थन करता हूं और उसे कप्तान बनाना चाहता था जो सरासर गलत है।’’
जाफर को पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले का समर्थन मिला है जो अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की क्रिकेट समिति के प्रमुख हैं। इसके अलावा पूर्व भारतीय खिलाड़ियों इरफान पठान और मनोज तिवारी तथा मुंबई के पूर्व बल्लेबाज शिशिर हट्टनगढ़ी ने भी जाफर का समर्थन किया।
वहीं, इस मामले में मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली समेत कई दिग्गज खिलाड़ियों ने चुप्पी साध रखी है, जिसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का भी सामना कर पड़ा।