उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित सरकार के 20 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि पंजाब के दो मंत्रियों के खिलाफ मामले हैं। साथ ही एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दौलत के मामले में यूपी के 35 मंत्री करोड़पति हैं, जबकि पंजाब में नौ मंत्री करोड़पति हैं।
यूपी इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने राज्य के 47 में से 44 मंत्रियों के हलफनामे का विश्लेषण किया है। आंकड़ा नहीं रहने के कारण तीन मंत्रियों- दिनेश शर्मा, स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा के बारे में पता नहीं चल सका।
बता दें कि दिनेश शर्मा मेयर हैं, जबकि दो अन्य फिलहाल किसी भी सदन उत्तर प्रदेश विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य नहीं है। दिल्ली स्थित एडीआर ने जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि 44 मंत्रिायों में 35 (80 प्रतिशत) करोड़पति हैं। इन 44 मंत्रियों की औसत संपत्ति 5.34 करोड़ रूपये हैं।
इसके अलावा 20 (45 प्रतिशत) मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। उनके खिलाफ जो आरोप दर्ज है उसमें लूट, चोरी, जालसाजी और जानबूझकर चोट पहुंचाने सहित कई मामले हैं। इलाहाबाद दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से नंद गोपाल गुप्ता नंदी 57.11 करोड़ रूपये के साथ सबसे ज्यादा संपत्ति घोषित करने वाले मंत्री हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुल संपत्ति 71 लाख रूपये से ज्यादा की है, जबकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद की संपत्ति नौ करोड़ से ज्यादा की है। कुल 28 मंत्रियों ने देनदारी की घोषणा की है, जिसमें सबसे ज्यादा देनदारी नंद गोपाल गुप्ता नंदी (26.02 करोड़) की है।
एडीआर ने कहा है कि पंजाब में 10 मंत्रियों में से नौ (90 प्रतिशत) करोड़पति हैं। इसमें कहा गया है, 10 मंत्रियों की औसत संपत्ति 34.54 करोड़ रूपये है। सबसे ज्यादा संपत्ति घोषित करने वाले मंत्री कपूरथला निर्वाचन क्षेत्र से राणा गुरजीत सिंह हैं जिन्होंने 169.89 करोड़ की संपत्ति बताई है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की कुल संपत्ति 48 करोड़ रूपये है।
कुल आठ मंत्रियों ने देनदारी घोषित की है जिसमें सबसे ज्यादा देनदारी राणा गुरजीत सिंह (81.71 करोड़ रूपये) की है।एडीआर ने एक अलग रिपोर्ट में कहा है कि उत्तराखंड में 10 मंत्रियों में आठ (80 प्रतिशत) करोड़पति हैं। इसमें कहा गया है, 10 मंत्रियों की औसत संपत्ति 10.90 करोड़ रूपये है। सबसे ज्यादा चाउबट्टाखल निर्वाचन क्षेत्र से सतपाल महाराज ने 80.25 करोड़ की संपत्ति घोषित की है।
चार मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। मणिपुर में नौ मंत्रियों में छह (67 प्रतिशत) करोड़पति हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी मंत्री ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित नहीं किए हैं।