केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रदर्शनकारी किसानों को बताया ‘मवाली’, विवाद बढ़ने पर वापस ली टिप्पणी

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की आलोचना करते हुए उन्हें ‘‘मवाली’’ करार दिया। उन्होंने यह टिप्पणी किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई कथित हिंसा के बारे में पूछे गए सवाल पर की। टिप्पणी पर विवाद खड़ा होने के बाद मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट किया कि उनकी बात को ‘‘तोड़-मरोड़कर’’ पेश किया गया है और यदि कोई आहत हुआ है तो वह अपने शब्द वापस लेती हैं।

भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक पत्रकार ने जब ‘किसानों’ का संदर्भ दिया, जिन्होंने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को कवर करने के दौरान कथित तौर पर कैमरामैन पर हमला किया तो लेखी ने कहा, ‘‘आप उन्हें किसान कहना बंद करें, वे किसान नहीं हैं। वे कुछ साजिशकर्ताओं के हाथों में खेल रहे हैं। किसानों के पास जंतर-मंतर पर बैठने का समय नहीं है। वे खेतों में काम कर रहे हैं। उनके (प्रदर्शनकारियों के) पीछे बिचौलिये हैं, जो नहीं चाहते कि किसानों को लाभ मिले।’’

उन्होंने 26 जनवरी को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि वे प्रदर्शनकारी, किसान नहीं थे। एक प्रमुख हिंदी चैनल के कैमरामैन पर हमले और 26 जनवरी की हिंसा के सवाल पर लेखी ने कहा, ‘‘आप ने फिर उन्हें किसान कहा, वे मवाली हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे हमले आपराधिक घटनाएं हैं, जिनपर संज्ञान लिया जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने अफसोस जताया। उन्‍होंने कहा कि लेखी को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। टिकैत बोले कि कृषि कानूनों का प्रदर्शन करने वाले मवाली नहीं किसान हैं, किसान के बारे में ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। किसान देश का अन्नदाता है।

टिप्पणी पर विवाद खड़ा होने के बाद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि, “मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है अगर इससे किसी को ठेस पहुँची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूँ।” उन्होंने अपने बयान पर गुरुवार की शाम को सफाई देते हुए कहा कि उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस का किसानों से कोई लेना-देना ही नहीं था। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया है। उन्होंने कहा कि मेरे किसानों से संबंधित बयानों से किसी को दुख पहुंचा है तो मैं अपने शब्द को वापस लेती हूं।

दरअसल, नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 200 किसानों के एक समूह ने मध्य दिल्ली के जंतर-मंतर पर गुरुवार को ‘किसान संसद’ शुरू की। इस दौरान एक न्‍यूज चैनल के पत्रकार के साथ कथित तौर पर ‘दुर्व्यवहार’ का मामला सामने आया।

पुलिस के मुताबिक गुरुवार को जंतर मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक स्वतंत्र पत्रकार के कथित हमले में एक कैमरामैन घायल हो गया। पुलिस ने बताया कि घायल कैमरामैन की पहचान नागेंद्र के तौर पर हुई है और उसपर प्रभजोत सिंह नामक स्वतंत्र पत्रकार ने हमला किया था। (इंपुट: भाषा के साथ)

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