तालिबान ने ‘इस्लामी कानून के ढांचे के भीतर’ महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का वादा किया है। अफगानिस्तान पर पूर्ण कब्जे के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद द्वारा आयोजित पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की गई। इसके साथ ही तालिबान ने महिलाओं के अधिकार, विदेशों से संबंध और देशवासियों की सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय जाहिर की है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का वादा किया है, लेकिन कहा है कि ऐसा इस्लामी कानून के मानदंडों के भीतर ही किया जाएगा। मुजाहिद ने यह भी कहा कि तालिबान चाहता है कि निजी मीडिया ‘स्वतंत्र रहे’, लेकिन उन्होंने इस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया कि पत्रकारों को देश के मूल्यों के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए।
मुजाहिद ने महिलाओं को लेकर तालिबान के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे इस्लाम के आधार पर महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका कहना है कि महिलाएं स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में जहां जरूरत हो वहां काम कर सकती हैं। उनका कहना है कि महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि तालिबान ने कहा कि हमने सभी को माफ कर दिया है और पूर्व सैन्य सदस्यों और विदेशी बलों के साथ काम करने वालों सहित किसी से भी बदला नहीं लेंगे। कोई उनके घर की तलाशी नहीं लेगा। युद्ध के दौरान दुर्घटनावश लोगों और परिवारों को नुकसान हुआ और यह जानबूझकर नहीं किया गया और अनियंत्रित स्थिति में हुआ। अगर ऐसा हुआ है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौरतलब है कि, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां मौजूद लोगों का एक-एक पल डर के साए में बीत रहा है। अफगानिस्तान में मौजूद दूसरे देश के नागिरक जल्द से जल्द अपने वतन लौटने की कोशिश कर रहे हैं।