सुप्रीम कोर्ट ने 15 जून के एक कार्यक्रम में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले हिंदी समाचार चैनल ‘न्यूज 18 इंडिया’ के लिए काम करने वाले एंकर अमीश देवगन के विरूद्ध दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि देवगन जांच में सहयोग करना जारी रखते हैं, तो उन्हें हर प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई से संरक्षण दिया जाएगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायामूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना समेत विभिन्न राज्यों में देवगन के खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकियों को राजस्थान के अजमेर में स्थानांतरित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि, पीठ ने अमिश देवगन को प्राथमिकी के संबंध में किसी कठोर कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया था। इसके बाद से न्यायालय पत्रकार को किसी भी कठोर कार्रवाई से संरक्षण की अवधि बढ़ाता आ रहा है।
बता दें कि, अपने विवादित शो को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले ‘न्यूज 18 इंडिया’ के एंकर अमीश देवगन ने विश्व प्रसिद्ध अजमेर शरीफ के हजरत ख्वाजा गरीब नवाज को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। इसके बाद वह सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए थे, लोग उनकी गिरफ्तारी की मांग करने लग गए थे। सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करने और अपने खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की धमकी के बाद अमीश देवगन ने सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली थी।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, “अपनी एक बहस में, मैंने अनजाने में ‘खिलजी’ को चिश्ती कह दिया। मैं ईमानदारी से इस गंभीर त्रुटि के लिए माफी मांगता हूं और यह सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों के लिए दुख की बात हो सकती है, जिन्हें मैं सम्मान देता हूं। मैंने भी पहले उनकी दरगाह पर आशीर्वाद लिया है। मुझे इस त्रुटि पर खेद है।”
बता दें कि, जून महीने की 15 तारीख को अपने टीवी कार्यक्रम ‘आर पार’ के प्रसारण के दौरान अमीश देवगन ने सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसे लेकर देवगन के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कई प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। (इंपुट: भाषा के साथ)