एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के मामले में टिप्पणी कर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण फंसते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।सुप्रीम कोर्ट ने ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और केन्द्र की अवमानना याचिका पर बुधवार को प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया। यह अवमानना याचिका एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति को लेकर न्यायालय की कथित आलोचना संबंधी भूषण के ट्विटस के संदर्भ में दायर की गई है। राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने पर भूषण के उस ट्वीट का है, जिसमें उन्होंने सरकार पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने प्रशांत भूषण को अवमानना याचिका का जवाब देने के लिये तीन सप्ताह का समय दिया है। पीठ ने कहा कि वह इस बड़े सवाल पर विचार करेगी कि क्या कोई वकील या कोई अन्य व्यक्ति न्यायालय के विचाराधीन किसी मामले की आलोचना कर सकता जिससे जनता की राय प्रभावित हो। पीठ ने कहा कि न्यायालय की आलोचना भी न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप हो सकता है। पीठ ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिये सात मार्च को सूचीबद्ध किया है।
Supreme Court issues notice to advocate Prashant Bhushan on contempt plea filed by Attorney General KK Venugopal and Centre that Bhushan in his tweets said that AG Venugopal 'wilfully&deliberately' made false statement in a case pending in court. Next date of hearing is March 7.
— ANI (@ANI) February 6, 2019
भूषण ने कथित तौर पर अपने ट्विट में आरोप लगाया था कि नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में केन्द्र ने वेणुगोपाल के माध्यम से शीर्ष अदालत को गुमराह किया। केन्द्र ने इन ट्विट के आधार पर भूषण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही करने के लिये मंगलवार को न्यायालय में याचिका दायर की और कहा कि ये एक लंबित मामले में गलत बयान देने सरीखे हैं। भूषण के खिलाफ वेणुगोपाल की अवमानना याचिका के कई दिन बाद यह दायर की गई।
वेणुगोपाल ने अपनी अवमानना याचिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और सबसे बड़े दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सदस्यता वाली उच्चाधिकार समिति की बैठक की कार्यवाही के अंशों का हवाला दिया हे। केन्द्र की याचिका में भी वेणुगोपाल की याचिका के कथन का उल्लेख है और इसमें कहा गया है कि इसे उसकी याचिका के हिस्से के रूप में भी पढ़ा जाये।
वेणुगोपाल की याचिका में भूषण के एक फरवरी के ट्विटस का जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ऐसा लगता है कि सरकार ने शीर्ष अदालत को गुमराह किया है और शायद उच्चाधिकार समिति की बैठक की गढ़ी हुयी कार्यवाही पेश की है। वेणुगोपाल ने कहा है कि इन ट्विट्स के माध्यम से ऐसा लगता है कि भूषण ने जानबूझ कर अटार्नी जनरल की ईमानदारी और निष्ठा पर आक्षेप लगाया है जिन्होंने एक फरवरी को सुनवाई के दौरान समिति की बैठक की कार्यवाही का विवरण पेश किया था।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के केन्द्र के फैसले के खिलाफ गैर सरकारी संगठन कामन काज की याचिका पर एक फरवरी को सुनवाई कर रही थी। वेणुगोपाल ने कहा कि एक फरवरी को सुनवाई के दौरान उन्होंने पीठ को उच्चाधिकार समिति की नौ और दस जनवरी को हुयी बैठक की कार्यवाही के विवरण सौंपे थे। याचिका के अनुसार समिति की बैठक में लिये गये निर्णय पर उसके तीनों सदस्यों के हस्ताक्षर थे।
वेणुगोपाल ने कहा है कि एक फरवरी के एक ट्विट में भूषण ने कहा, ‘‘मैंने अभी व्यक्तिगत रूप से प्रतिपक्ष के नेता खडगे से इसकी पुष्टि की है कि उच्चाधिकार समिति की बैठक में नागरेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक पुन: नियुक्त करने के बारे में न तो कोई चर्चा हुयी और न ही कोई फैसला लिया गया। सरकार ने ऐसा लगता है कि न्यायालय को गुमराह किया है ओर शायद बैठक की कार्यवाही का गढ़ा हुआ विवरण पेश किया है।’’