इस समय देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) खुद सवालों के घेरे में आ गई है। सीबीआई के दो सीनियर अधिकारी एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। सीबीआई में आतंरिक कलह के मद्देनजर मोदी सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है। वहीं संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतरिम निदेशक नियुक्त कर दिया है। ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी राव ने मंगलवार रात ही पदभार संभाल लिया।
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने को लेकर विपक्षी दलों ने बुधवार को सरकार पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह फैसला “राफेल फोबिया” के कारण लिया गया क्योंकि वह (आलोक वर्मा) राफेल विमान सौदे से जुड़े कागजात एकत्र कर रहे थे। कांग्रेस ने सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने को एजेंसी की स्वतंत्रता खत्म करने की अंतिम कवायद बताया है। उधर, केन्द्र सरकार ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुये इसे ‘अपरिहार्य’ बताया। सरकार ने दलील दी है कि सीबीआई के संस्थागत स्वरूप को बरकरार रखने के लिये यह कार्रवाई जरूरी थी।
विपक्ष के साथ अपनों ने भी उठाए सवाल
सीबीआई पर मोदी सरकार के अभूतपूर्व फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ही सरकार पर निशाना साधा है। स्वामी ने सनसनीखेज दावा करते हुए चौंकाने वाला बयान दिया। बीजेपी सांसद ने कहा है कि सीबीआई के बाद अगला नंबर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों का होगा और अगर ऐसा होता है तो मेरी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई खत्म हो जाएगी क्योंकि मेरी सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम कर रही है।
स्वामी ने ट्वीट कर कहा, ”सीबीआई में कत्लेआम के खिलाड़ी अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के अधिकारी राजेश्वर सिंह का निलंबन करने जा रहे हैं ताकि पीसी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल ना हो। अगर ऐसा हुआ तो भ्रष्टाचार से लड़ने की कोई वजह नहीं है, क्योंकि मेरी ही सरकार लोगों को बचा रही है। ऐसे में मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितने मुकदमे दायर किए हैं सब वापस ले लूंगा।”
The players in the CBI massacre are about to suspend ED’s Rajeshwar so that he cannot file the chargesheet against PC. If so I will have no reason to fight the corrupt since my govt is hell bent on protecting them. I shall then withdraw from all the corruption cases I have filed.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 24, 2018
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आलोक वर्मा
केंद्र के फैसले के खिलाफ सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा बुधवार (24 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट को वर्मा की अर्जी पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया है। यह सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस ले लिए जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ वर्मा की दलीलों से सहमत हुई और कहा कि याचिका पर 26 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी।
सीबीआई प्रमुख वर्मा ने संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का प्रभारी निदेशक नियुक्त किए जाने के फैसले को भी चुनौती दी है। वर्मा के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष यह मामला रखा। शंकरनाराणन ने पीठ को बताया कि केंद्र ने वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को अवकाश पर भेजने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यदि वर्मा अवकाश पर गए तो कई मामलों की जांच प्रभावित होगी।
आपको बता दें कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच पिछले कुछ दिनों से आरोप-प्रत्यारोंपों का सिलसिला चल रहा था। इस विवाद में उस समय नया मोड आया जब 15 अक्टूबर को अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक अस्थाना, उप अधीक्षक देवेंद्र कुमार तथा कुछ अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। अस्थाना पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले के सिलसिले में कथित तौर पर तीन करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है।
कथित रिश्वत देने वाले सतीश सना के बयान पर यह केस दर्ज किया गया था। वहीं, करीब दो महीने पहले अस्थाना ने निदेशक वर्मा के खिलाफ की गई शिकायत में आरोप लगाया था कि सना ने राहत पाने के लिए वर्मा को रिश्वत के तौर पर दो करोड़ रुपए दिए। सीबीआई ने अस्थाना की टीम में डीएसपी रहे देवेंद्र कुमार को भी गिरफ्तार किया है। सीबीआई के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इसके दो सबसे बड़े अधिकारी कलह में उलझे हैं।