जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पत्थरबाजों पर सेना द्वारा की गई गोलीबारी को लेकर भारतीय सेना के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का मामला सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ मौर्चा खोल दिया है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को शिकायती चिट्ठी लिखी है। इस पत्र में स्वामी ने जम्मू कश्मीर में सेना के खिलाफ एफआईआर को लेकर सीतारमण से सफाई देने की मांग की है। स्वामी ने राष्ट्रपति से मांग की है कि वे रक्षा मंत्री को बुलाकर उनसे सफाई देने को कहें साथ ही जरूरी कार्रवाई भी करें।
स्वामी ने राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 78 सी को याद दिलाते हुए लिखा है कि इस धारा के तहत वह केंद्र सरकार के किसी भी मंत्री के बारे में प्रधानमंत्री से पूछताछ कर सकते हैं। स्वामी ने सेना के खिलाफ जिस तरह से राज्य की मुख्यमंत्री ने एफआईआर दर्ज कराई है, उसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति को सीधे रक्षामंत्री को तलब करके उनसे पूछताछ करनी चाहिए।
मंगलवार 6 फरवरी को राष्ट्रपति को लिखे दो पन्नों के खत में स्वामी ने लिखा कि, ‘जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य विधानसभा में खुलासा किया कि रक्षा मंत्री की अनुमति के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार के निर्देश पर सेना और उसके एक अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। सीएम के खुलासे के 10 दिन बाद भी सीतारमण खामोशी बताती है कि इसमें उनकी सहमति है।’
उन्होंने आगे लिखा कि, ‘AFSPA के सेक्शन 7 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए भारत सरकार की अनुमति जरूरी है। सवाल है कि क्या इस सेक्शन का पालन किया गया और औपचारिक मंजूरी दी गई? मैं मांग करता हूं कि रक्षा मंत्री इस मसले पर बयान दें कि क्या उन्होंने सेना और उसके जवानों के मनोबल को नुकसान पहुंचाने वाले एफआईआर की अनुमति दी थी, जो जम्मू-कश्मीर की रक्षा और देश की अखंडता कायम रखने के लिए रोज जान गंवाते हैं। शोपियां में क्या हुआ ये पूरा देश जानता है।
बता दें कि, इससे पहले सुब्रह्मण्यम स्वामी ने 2 फरवरी को ट्वीट कर लिखा था कि, ‘एफआईआर पर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के विधानसभा में दिए गए बयान को रक्षा मंत्री सीतारमण ने अस्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री की एक हफ्ते की खामोशी को पार्टी को नोटिस में लेना चाहिए, हम सेना पर एफआईआर दर्ज किए जाने को स्वीकार नहीं कर सकते।’
Raksha Mantri Ms. Sitharaman has refused to deny the J&K Assembly statement of CM Mehbooba Mufti on the FIR, that RM pre-approved the idea. RM's one week of silence calls for party's notice of issue. We cannot allow the FIR
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 3, 2018
नवभारत टाइम्स की ख़बर के मुताबिक, कुछ दिनों पहले 10 गढ़वाल राइफल्स का 40-50 सैनिकों का काफिला मूवमेंट के लिए बालपुरा से अन्य ठिकाने के लिए निकला था। गनापुरा में कट्टरपंथियों का बड़ा जमावड़ा है। वहां हाल में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी फिरदौस के मारे जाने के बाद से तनाव था। स्थानीय लोगों को जैसे ही सेना के काफिले के मूवमेंट का पता चला तो करीब 100 लोग पत्थरबाजी के लिए जुट गए।
इस बीच सेना के काफिले की 4 गाड़ियां एक मोड़ पर टर्न लेने की जगह 100 मीटर आगे बढ़ गईं, जहां से वापसी के दौरान रफ्तार धीमी होने से चारों गाड़ियां घिर गईं। सेना के जेसीओ ने भीड़ को समझाने की कोशिश की लेकिन पत्थरबाजी जारी रही। इस बीच एक पत्थर लगने से जेसीओ बेहोश होकर गिर गए। इसके बाद तीन से चार हवाई फायरिंग कर पत्थरबाजी कर रहे लोगों को चेतावनी दी गई। भीड़ और सैनिकों के बीच फासला जब महज 10 मीटर का रह गया, तब एक सैनिक ने फायरिंग की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पुलिस ने सेना के मेजर और जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी जिसके बाद सेना ने भी एक काउंटर एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मसले पर राज्य में सत्ताधारी गठबंधन पीडीपी और बीजेपी के बीच भी तनातनी देखी जा रही है। बीजेपी इस एफआईआर को वापस लेने की मांग कर रही है, जबकि पीडीपी ने इसे खारिज कर दिया है।