पिछले काफी समय से आधार और डेटा सुरक्षा को लेकर चर्चा जारी है। दरअसल सरकारी योजनाओं से लेकर नर्सरी में एडमिशन और सिम कार्ड खरीदने तक में आइडेंडिटी के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है। सभी सरकारी सेवाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है। इस बीच डेटा सुरक्षा पर गठित जस्टिस श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में बनी हाई लेवल कमिटी ने लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आधार कानून में बड़ा बदलाव करने की सिफारिश की है।
File Photo: Reutersसमिति का कहना है कि आधार के माध्यम से पहचान पुष्ट करने का अधिकार केवल भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा मान्यता प्राप्त सार्वजनिक इकाइयों या कानूनन अधिकार प्राप्त इकाइयों को ही होना चाहिए ताकि लोगों की निजता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। समिति की 213 पन्नों की रिपोर्ट में आधार को लेकर ये सुझाव दिए गए हैं, लेकिन यह उसके निजी डेटा सुरक्षा विधेयक के मसौदे का हिस्सा नहीं है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक समिति ने शुक्रवार को ही यह सरकार को सौंपे हैं। समिति ने आधार जारी करने वाली संस्था के लिए अधिक आर्थिक और कामकाजी स्वायत्ता का सुझाव दिया है। समिति का सुझाव है कि यूआईडीएआई को ना केवल निर्णय लेने में अधिक स्वायत्त बनाया जाना चाहिए, बल्कि उसका कामकाज सरकार की एजेंसियों से भी स्वतंत्र होना चाहिए। साथ ही उसे पारंपरिक नियामकीय शक्तियों से परिपूर्ण बनाया जाना चाहिए ताकि वह कानून को लागू कर सके।
इसमें कहा गया है कि यूआईडीएआई के पास जुर्माना लगाने की शक्ति हो, साथ ही विधायी उल्लंघन करने वाले या कानून का अनुपालन नहीं करने वाले सरकारी और निजी ठेकेदारों लिए जब्ती आदि के आदेश देने की शक्ति भी उसके पास होनी चाहिए। समिति की सिफारिशें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लिहाज से आधार कानून में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि ग्राहकों से जुड़ी जानकारी को बेहतर किया जा सके और यूआईडीएआई की स्वायत्ता भी बनाए रखी जा सके। रिपोर्ट में हाल के ऐसे कई मामलों का उल्लेख किया गया है जहां कंपनियां गलत तरीके से आधार को लेकर जोर डालती रहीं हैं। अवैध कार्यों के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल करती रहीं और आंकड़ों को गलत तरीके से दूसरों को उपलब्ध कराया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं से सूचना की निजता प्रभावित होगी, इसके तुरंत समाधान की आवश्यकता है। रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल इन घोषणाओं के पीछे कोई सांविधिक समर्थन नहीं है और आज की तिथि में यह अस्पष्ट बना हुआ है कि इन घोषणाओं को किस प्रकार प्रभावी तरीके से अमल में लाया जाएगा। बता दें कि देश भर में अब तक 120 करोड़ से अधिक लोगों को आधार नंबर जारी किया जा चुका है। केंद्र व राज्य सरकारें की तरह के लाभ देने के लिए आधार नंबर के जरिए लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित करती हैं।
आधार चैलेंज देकर बुरे फंसे ट्राई प्रमुख
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने शनिवार को अपने ट्विटर हैंडल पर आधार कार्ड नंबर से जुड़ी एक चुनौती दे डाली। ट्राई प्रमुख ने ‘आधार’ की सुरक्षा का पुख्ता दावा करते हुए अपना 12 अंकों का आधार नंबर जारी करते हुए कहा था कि कोई मेरे आंकड़े लीक करके दिखाए। हैरानी की बात यह है कि उनकी इस चुनौती के कुछ घंटे बाद ही उनके आंकड़े लीक हो गए।
एक ट्विटर यूज़र ‘एलियट एल्डर्सन’ ने उनका पता, आधार से जुड़ा फोन नंबर, ई-मेल आईडी, जन्मतिथि और उनकी व्हाट्सऐप की तस्वीर भी सार्वजनिक कर दी। हालांकि पता और जन्मतिथि को छुपाकर दिखाया गया। समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक इलियट एंडरसन उपनाम वाले फ्रांस के एक सुरक्षा विशेषज्ञ का ट्विटर हैंडल ‘@foc131y’ है।
उन्होंने ट्वीट्स की सीरीज में शर्मा के निजी जीवन के कई आंकड़े, उनके 12 अंकों की आधार संख्या के माध्यम से जुटाकर जारी कर दिए, जिनमें शर्मा का निजी पता, जन्मतिथि, वैकल्पिक फोन नंबर आदि शामिल है। उन्होंने इन आंकड़ों को जारी करते हुए शर्मा को बताया कि आधार संख्या को सार्वजनिक करने के क्या खतरे हो सकते हैं।
ट्विटर यूजर इलियट एंडरसन ने लिखा कि वो आधार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन आधार नंबर उजागर करना कितना खतरनाक है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। एंडरसन ने लिखा, ‘आधार संख्या असुरक्षित है। लोग आपका निजी पता, वैकल्पिक फोन नंबर से लेकर काफी कुछ जान सकते हैं। मैं यही रुकता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि आप समझ गए होंगे कि अपना आधार संख्या सार्वजनिक करना एक अच्छा विचार नहीं है।’