सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ मतभेदों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने इस विवाद के बहाने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
फाइल फोटोभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में पार्टी लाइन से अलग अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले अभिनेता से राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि देश में ये अच्छे दिनों की जगह यह कौन से दिन आ रहे हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार(13 जनवरी) को ट्वीट कर कहा कि, ‘माननीय सर, ये क्या हो रहा है? अच्छे दिनों की जगह ये कौन से दिन आ रहे हैं? जज ही इंसाफ मांग रहे हैं और न्याय इंसाफ की गुहार लगा रहा है! ऐसा लगता है कि मामला बहुत गंभीर है और सब कुछ ठीक नहीं है।
आशा और कामना करता हूं कि हम लोग इस समस्या से पार पा लेगें और आप इसका उचित निपटारा करेंगे, लेकिन ये जितनी जल्दी हो जाए, उतना ही ठीक होगा, न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद। जय हिंद।
Hon'ble Sir. What's happening? अच्छे दिनों की जगह ये कौन से दिन आ रहे हैं? Judges ask for Justice & Justice cries for Justice! It seems the matter is very serious and all is not well.
Hope wish and pray that we will ride over this crisis & you will tackle this situation..1>2— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) January 13, 2018
…..with appropriate remedial measures soon, sooner the better. Long live our Judiciary & our Supreme Court. God Bless! Jai Hind!
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) January 13, 2018
बता दें कि, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार (13 जनवरी) को नोएडा में अपने निवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि, यह हमारा कर्तव्य है कि हम जजों द्वारा उठाए गए सवालों पर विचार करें।
यशवंत सिन्हा ने कहा था कि, यह गंभीर मामला है, जिन लोगों को देश के भविष्य और लोकतंत्र की चिंता है, उन्हें इस मुद्दे पर आवाज उठानी चाहिए। अगर न्यायपालिका के साथ समझौता होगा, तो इसका दुष्परिणाम सभी पर पड़ेगा।
लोग डर की वजह से बोल नहीं पा रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि कुछ मंत्री भी इस मामले में चुप हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर उन्होंने कुछ बोला तो उनकी कुर्सी जा सकती है। साथ ही यशवंत सिन्हा ने कहा कि, CJI को सभी सीनियर जज की बैठक करनी चाहिए और जो मुद्दे उठे हैं उन पर बात कर किसी सहमति पर पहुंचना चाहिए।
उन्होंने कहा, यदि न्यायाधीश कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, तो सबसे अधिक चिंतित कौन होना चाहिए? क्या इस देश की राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए? आगे उन्होंने कहा कि, ‘मैं यह नहीं कहता कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट से आगे जाकर कोई एक्शन लेना चाहिए, बल्कि मैं यह कहना चाहता हूं कि सरकार को लोकतंत्र की रक्षा में अपनी भूमिका का पालन गंभीरता से करना चाहिए।’
बता दें कि, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने शुक्रवार (12 जनवरी) को मीडिया के सामने आकर देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए।
वरिष्ठ जस्टिस चेलामेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “हम चारों के लिए यह बहुत तकलीफ से भरा समय है और यह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में हमें कोई खुशी नहीं हो रही।” उन्होंने कहा कि, “हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि चारों जजों ने अपनी आत्मा बेच दी थी।” उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और बीते दिनों में बहुत कुछ हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मीडिया से बात की।
बता दें कि, शुक्रवार (12 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की ओर से मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर उठाए गए सवाल के बाद अब मामले को सुलझाने की कोशिश शुरू हो गई है।
सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से उपजे संकट के बीच प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले न्यायाधीशों से रविवार (14 जनवरी) को मुलाकात कर सकते हैं।