जज विवाद: सवाल उठाने वाले जजों से आज मिल सकते हैं चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, ‘असंतुष्ट’ न्यायाधीशों ने दिए नरमी के संकेत

0

सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की ओर से मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर उठाए गए सवाल के बाद अब मामले को सुलझाने की कोशिश शुरू हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से उपजे संकट के बीच प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले न्यायाधीशों से रविवार (14 जनवरी) को मुलाकात कर सकते हैं।

PHOTO: PTI

न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 2 न्यायाधीशों ने शनिवार (13 जनवरी) को मुद्दा सुलझाने की ओर इशारा भी किया है। सीजेआई पर सवाल उठाने वाले चार में से तीन न्यायाधीश राष्ट्रीय राजधानी से बाहर हैं और रविवार दोपहर तक उनके यहां वापस आने की संभावना है।

इस रिपोर्ट की हालांकि कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि सीजेआई मिश्रा सवाल उठाने वाले चारों न्यायाधीशों से मुलाकात करेंगे। लेकिन न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और अटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल से मिल रहे संकेतों से इस विवाद पर सुलह के आसार नजर आ रहे हैं।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने शनिवार को कोच्चि में कहा कि शीर्ष न्यायालय में कोई भी संवैधानिक संकट नहीं है और जो मुद्दे उन लोगों ने उठाए हैं, उनके सुलझने की पूरी संभावना है। न्यायामूर्ति जोसेफ ने कहा कि, ‘हमने एक उद्देश्य को लेकर ऐसा किया था और मेरे विचार से यह मुद्दा सुलझता दिख रहा है। यह किसी के खिलाफ नहीं था और न ही इसमें हमारा कुछ निजी स्वार्थ था। यह सर्वोच्च न्यायालय में ज्यादा पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किया गया था।’

उन्होंने हालांकि इस बारे में विस्तार से नहीं बताया। न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि, ‘किसी भी प्रकार का संवैधानिक संकट नहीं है और केवल प्रकिया में समस्या है, जिसे सही कर लिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि चार न्यायाधीशों ने शुक्रवार को जारी पत्र में सबकुछ लिख दिया था और इस पत्र को उन्होंने एक माह पहले ही न्यायमूर्ति मिश्रा को भेज दिया था।

Rifat Jawaid on the revolt by Supreme Court judges

Posted by Janta Ka Reporter on Friday, 12 January 2018

यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि न्यायाधीशों को अपनी शिकायतें इस तरह सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए थीं, उन्होंने कहा, ‘जो समस्या है, कोई भी दोनों पक्षों को देख सकता है। हमें जो भी कहना था हमने पत्र में लिख दिया था। एक माह गुजरने के बाद भी उस पत्र का कोई असर होता दिखाई न देने पर हमने पत्र को सार्वजनिक किया।’

इस मुद्दे से राष्ट्रपति को अवगत नहीं कराए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति केवल नियुक्ति अधिकारी (अपॉइंटमेंट अथॉरिटी) हैं।’ अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने हालांकि उम्मीद जाहिर की कि सर्वोच्च न्यायालय में उत्पन्न संकट शीघ्र ही ‘सुलझ’ जाएगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘उम्मीद करते हैं कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। मुझे भरोसा है कि सबकुछ सुलझ जाएगा।’

वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा था कि चारों शीर्ष न्यायाधीश प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से शिकायत करने को टाल सकते थे। उन्होंने कहा कि ये न्यायाधीश बहुत प्रतिष्ठित लोग हैं और उम्मीद जताई कि वे लोग अपने मतभेद आपस में सुलझा लेंगे।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया की शनिवार को यहां बैठक हुई और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 7 सदस्यीय एक प्रतिनिधमंडल रविवार को मुद्दा सुलझाने के दृष्टिकोण से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से मुलाकात करने की कोशिश करेगा। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को शनिवार सुबह प्रधान न्यायाधीश के आवास की ओर जाते देखा गया। उन्हें उनके आधिकारिक वाहन के अंदर तब बैठे देखा गया, जब वह प्रधान न्यायाधीश के आवास के अंदर गए बिना ही वापस आ रहे थे।

कांग्रेस ने इस पर मोदी से पूछा है कि उन्होंने क्यों अपने सहयोगी को न्यायमूर्ति मिश्रा के घर भेजा? कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि, ‘प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव के तौर पर नृपेंद्र मिश्रा चीफ जस्टिस मिश्रा के आवास 5, कृष्णन मेनन मार्ग गए थे। प्रधानमंत्री को निश्चित ही इसका जवाब देना चाहिए कि उन्होंने क्यों अपना विशेष दूत भेजा था।’

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि न्यायाधीश क्या कह रहे हैं, उस पर संज्ञान लेना हमारा कर्तव्य है और हमें सही उद्देश्यों के लिए आवाज उठानी चाहिए। यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘अगर चार वरिष्ठ न्यायाधीश जनता के सामने आ गए, तो यह सर्वोच्च न्यायालय का मामला कहां रहा? यह एक लोकतांत्रिक देश का एक गंभीर मामला है।’

गोगोई ने कहा, कोई संकट नहीं

भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ ‘चयनात्मक’ तरीके से मामलों के आवंटन और कुछ न्यायिक आदेशों को लेकर एक तरह से उनके खिलाफ ‘बगावत’ करने वाले उच्चतम न्यायालय के 4 वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शनिवार को कहा कि यह मुद्दा कोई संकट नहीं है। न्यायमूर्ति गोगोई एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता आए थे।

कार्यक्रम के इतर उनसे पूछा गया कि संकट सुलझाने के लिए आगे का क्या रास्ता है, इस पर उन्होंने कहा, ‘कोई संकट नहीं है।’ यह पूछे जाने पर कि उनका कदम क्या अनुशासन का उल्लंघन है, गोगोई ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, ‘मुझे लखनऊ के लिए एक उड़ान पकड़नी है। मैं बात नहीं कर सकता।’ उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश राज्य विधिक सेवा प्राधिकारियों के पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आए थे।

एक दिन पहले ही आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्टके 4 जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें सीजेआई की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद से ही बार के स्तर पर सुलह की कोशिशें चल रही हैं।

 

Previous articlePorn star was paid $1,30,000 to keep quiet about sexual encounter with Donald Trump
Next articleVIDEO: यूपी के सीतापुर में कंबल वितरण के दौरान आपस में भिड़े BJP सांसद और विधायक, समर्थकों में चले लात-घूंसे