भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने अपने ऊपर एक महिला द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा, मैं इन आरोपों का जवाब नहीं देना चाहता हूं।
ऑनलाइन मीडिया में एक महिला द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न के संबंध में लगाये गए आरोपों से जुड़ी खबरों के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष सुनवाई में जस्टिस गोगोई ने तमाम आरोपों को खारिज किया।
जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और न्यायपालिक को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है।’ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने इस पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया है और मीडिया को न्यायपालिक की स्वतंत्रता के लिए संयम दिखाने को कहा है।
रंजन गोगोई ने कहा कि कुछ लोग सीजेआई के ऑफिस को निष्क्रिय करना चाहते हैं। लोग पैसे के मामले में मुझ पर ऊंगली नहीं उठा सकते थे, इसलिये इस तरह का आरोप लगाया है। सीजेआई ने कहा कि मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करूंगा। उन्होंने कहा कि, इसके पीछे कोई एक शख़्स नहीं है, बल्कि कई लोगों का हाथ है।
CJI on sexual harassment allegations against him says independence of judiciary is under very very serious threat and there is a “larger conspiracy” to destabilise the judiciary. He says there is some bigger force behind the woman who made sexual harassment charges. https://t.co/tc05vQcBZK
— ANI (@ANI) April 20, 2019
स्क्रॉल डॉट इन वेबसाइट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का एक हलफनामा सामने आया है। इस हलफनामे में पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। 35 वर्षीय महिला ने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में ‘फायदा’ उठाने की कोशिश की।
महिला ने आरोप लगाया, CJI ने मुझे कमर के चारों ओर गले लगाया और मेरे शरीर को अपनी बाहों में भर लिया। इसके बाद बिना मेरी सहमति के मेरे शरीर को दबा दिया और मुझे जाने नहीं दिया। महिला ने एक शपथ पत्र के साथ भेजे पत्र में लिखा, CJI ने मुझसे कहा ‘मुझे पकड़ो’, फिर मुझे जाने नहीं दिया। मैं उनसे छूटने की पूरी कोशिश की और उनके आलिंगन से बाहर निकलने की कोशिश की। वहीं, जस्टिस गोगोई ने इन आरोपों से इनकार किया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अचानक ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ को लेकर स्पेशल बेंच गठित कर दी। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सहित जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार की ओर से इस संबंध में जारी की नोटिस के मुताबिक सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के एक उल्लेख के बाद यह आदेश आया।
A Special Bench of Supreme Court judges, including the Chief Justice, has been constituted to have a special sitting, which is underway now, 'to deal with a matter of great public importance touching upon the independence of judiciary, on a mention being made by Tushar Mehta'. pic.twitter.com/YGSw8FtY68
— ANI (@ANI) April 20, 2019