हिंदी समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ के संपादक व एंकर सुधीर चौधरी ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए जासूसी के मामले को लेकर एक ट्वीट किया, जिसके बाद वो सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए और लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरु कर दिया। सुधीर चौधरी के ट्वीट पर वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
सुधीर चौधरी ने अपने ट्वीट में ऐसे कई पत्रकारों पर सवाल उठाए हैं, जिनके फोन हैक होने का दावा किया जा रहा है। उन्होंने एक तरीके से कथित जासूसी की लिस्ट में शामिल पत्रकारों पर तंज कसा।
ज़ी न्यूज़ के एंकर ने अपने ट्वीट में लिखा, “पेगासस प्रोजेक्ट की मीडिया लिस्ट से बहुत निराश हूं। इनमें से अधिकतर “पत्रकार” इतने महंगे स्पाइवेयर के लायक नहीं हैं। उनका वर्चुअली कोई प्रभाव नहीं है। हां वो मोदी-विरोधी हैं, लेकिन वो अपनी पत्रकारिता के चलते नहीं बल्कि उनकी सप्लाई चेन 2014 के बाद से कट गई है।”
सुधीर चौधरी के ट्वीट पर यूजर्स जमकर अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रहे है। उनके इस ट्वीट पर वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
Very disappointed with the #PegasusProject media list. Most of these "journalists" aren't worthy of such expensive spyware.They have virtually no impact. Yes they are anti-Modi, but that's not because of their journalism. It's because their supply chains have been cut since 2014.
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) July 19, 2021
चौधरी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए अजीत अंजुम ने लिखा, “ये वो आदमी बोल रहा है जो 100 करोड़ वसूली के स्टिंग में फंसकर तिहाड़ हो आया है। कांग्रेस राज में हुडा से लेकर पटेल तक के अंतःपुर का वासी रहा है। हर सरकार में मौज-मलाई खाकर हाजी बन रहा है। 2004 के पहले भी, 2004 के बाद भी, 2014 के बाद भी इसकी supply line चालू रही है हमेशा।”
ये वो आदमी बोल रहा है जो 100 करोड़ वसूली के स्टिंग में फंसकर तिहाड़ हो आया है .
कांग्रेस राज में हुडा से लेकर पटेल तक के अंतःपुर का वासी रहा है . हर सरकार में मौज-मलाई खाकर हाजी बन रहा है.
2004 के पहले भी
2004 के बाद भी
2014 के बाद भी
इसकी supply line चालू रही है हमेशा . https://t.co/BIhsuGwGoU— Ajit Anjum (@ajitanjum) July 19, 2021
दरअसल, कई मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पीगैसस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लीक आंकडों में बड़े मीडिया संगठनों हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस के अनेक जाने माने पत्रकार के नंबर शामिल हैं। हालांकि, यह रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है।
इधर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने दुनिया भर में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग को ”बेहद चिंताजनक” बताते हुए सोमवार को सरकारों से उनकी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने का आह्वान किया, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो।