मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश की राजधानी के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। अपने सनसनीखेज आरोपों से केजरीवाल ने पीएम नरेन्द्र मोदी पर करोड़ों रूपये के काले धन को रिश्वत के रूप में लेने के दस्तावेज़ पेश किए, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
दिल्ली विधानसभा के आपात सत्र के दौरान बोलते हुए केजरीवाल ने कहा था कि ऐसा स्वतंत्र भारत में पहली बार हो रहा है कि जब एक प्रधानमंत्री का नाम काले धन वालों की सूची में आ रहा हैं।
अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए केजरीवाल ने जो दस्तावेज़ प्रस्तुत किए वह आयकर अधिकारियों द्वारा कि गई छापेमारी जो क्रमशः 2013 और 2014 में आदित्य बिड़ला ग्रुप व सहारा समूह के कार्यालयों पर की गई थी। ये उन्हीं के मूल्याकंन की रिर्पोट थी।
इस मुल्याकंन रिर्पोट के अनुसार, आदित्य बिड़ला ग्रुप ने कथित तौर पर मोदी को 25 करोड़ रूपये रिश्वत के रूप में भुगतान किया था।
उन्होंने कहा कि आदित्य बिड़ला समूह पर अक्टूबर में छापा डाला गया था, आयकर अधिकारियों ने सभी दस्तावेज़ों को अपने कब्जे़ में ले लिया था।
शुभेन्दू अमिताभ उस समय बिड़ला ग्रुप में बतौर कार्यकारी अधिकारी के रूप में तैनात थे। अधिकारियों ने उनके लैपटाॅप और ब्लैकबेरी की पड़ताल की थी, अपनी जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि एक प्रविष्टि में कहा गया था कि 25 करोड़ रूपये गुजरात के मुख्यमंत्री को दिए गए है।
यहां गुजरात के मुख्यमंत्री के आगे कोष्ठक में दिए गए की पुष्टी थी और लिखा था कि 12 को दे दिया गया है और बाकी? उस समय नरेन्द्र मोदी 2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
इस बीच उच्च न्यायालय के अधिवक्ता और स्वराज अभियान के मुखिया प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत याचिका लगाई है जिनमें मुख्य तौर पर अक्टूबर 2013 में आदित्य बिड़ला समूह पर आयकर विभाग की छापेमारी थी और नवंबर 2014 में सहारा इंडिया समूह की कंपनियों को खंगाला गया था।
25 अक्टूबर को भूषण ने ये आरोप पत्र सभी जांच एजेंसियों, दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, मुख्य सतर्कता आयुक्त और काला धन की जांच करने वाले विभागों की टीम को भेज दिए थे।
भूषण ने जनता का रिर्पोटर को बताया कि मूल्याकंन रिर्पोट से जो जानकारी बाहर आई है, उससे पता चलता है कि सहारा ग्रुप पर कि गई छापेमारी में रिश्वत खोरी के और अधिक पुख्ता सबूत मिलते है मोदी और उनके सहयोगियों के खिलाफ आदित्य बिड़ला समूह की तुलना में।
जनता का रिर्पोटर को प्राप्त हुए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कई भुगतानों में एक ही नाम का प्रयोग हुआ है ‘मोदी जी’ और ‘मुख्यमंत्री गुजरात’ (नीचे दिए गए चित्र में देखें)
रिर्पोट के पेज 89 में उल्लेख है कि कम से कम आठ भुगतान अहमदाबाद में सहारा कर्मचारी ‘जायसवाल जी’ के माध्यम से ‘मोदी जी’ को हुए।
ये भुगतान कुल 40.10 करोड़ रूपये का था जो जायसवाल जी द्वारा ‘मोदी जी’ को 30 अक्टूबर 2013 से 21 फरवरी 2014 के बीच हुआ। उस समय मोदी बीजेपी से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और लोकसभा के लिए अपना चुनावी अभियान शुरू कर चुके थे।
उसी पृष्ठ पर अन्य प्रविष्ठियों से ज्ञात होता है कि कुछ और महत्वपूर्ण भुगतानों में MP के मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, मुख्यमंत्री दिल्ली का नाम है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री’ को 10 करोड़ का भुगतान दो किश्तों में भुगतान ‘नीरज वशिष्ठ’ के द्वारा किया गया था और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को 4 करोड़ का भुगतान नंदी जी द्वारा किया गया था।
‘ दिल्ली की मुख्यमंत्री’ ने जायसवाल से एक करोड़ रुपया प्राप्त किया जायसवाल वो ही है जिसने 23 सितंबर, 2013 को ‘मोदी’ को 40.1 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
रिपोर्ट के पेज नंबर, 90 पर, इसी तरह के भुगतान की एक सूची है , लेकिन इस सूची में ‘मोदी’ को ‘गुजरात के मुख्यमंत्री’ के रुप में कहा गया हैं। जबकि भुगतान करने वाले का नाम ‘जायसवाल जी’ ही रहा है।
पेज नंबर 91 पर, अन्य नामों के साथ ‘शायना एनसी जी,’ का भी नाम है जिन्हे भुगतान उदय जी के माध्यम से किया गया था, ‘शायना एनसी जी’ को 4 करोड़ का भुगतान किया गया है। दस्तावेजों के अनुसार, ‘शायना एनसी जी’ को 4 करोड़ रुपये चार किश्तों में 28 अगस्त 2013 और 20 जनवरी 2014 के बीच किया गया था।
पेज 92 पर ऐसे कई नाम हैं जिन्हे वादा की गई राशि का भुगतान होना है शीट की एक लाइन में अंकित है कि शायना एनसी से एक A. General से बंबई में चल रहे एक केस के लिए मदद मांगी गई है।
भूषण ने कहा, कि केबी चौधरी काले धन पर भुगतान करने वाली जांच में हेड थे। जिसमें मोदी जी और अन्य के नाम शामिल थे।
उन्होंने कहा, ” उसी केबी चौधरी को विजिलैंस कमीशन में नियुक्त किया गया , विजिलेंस कमीशन एक ऐसी संस्था है जो सीबीआई के कामकाज की भी निगरानी रखता है।
मुझे बताया गया है कि वह इस पद के लिए के बी चौधरी को इसलिए नियुक्त किया गया था क्योंकि उन्होंने बिड़ला और सहारा के कार्यालयों पर छापेमारी से प्राप्त दस्तावेज़ों को रफादफा करने के लिए सरकार की मदद की थी। इस बात ने ही मुझे इनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में और जांच एजेंसियों के लिए लिखने को कहा।
जनता का रिपोर्टर ने भाजपा प्रवक्ता, कांग्रेस के नेता और शायना एनसी तक पहुंचने की कोशिश की। लेकिन सभी ने इस बारे में बोलने से इनकार कर दिया। जनता का रिर्पोटर को जैसे ही इन नेताओं के रिएक्शन मिलेंगे हम स्टोरी को अपडेट कर के आप तक पहुंचाएगें