केरल के प्रसिद्ध भगवान अयप्पा मंदिर के कपाट सोमवार (5 नवंबर) शाम को विशेष पूजा के लिए कुछ घंटों के लिए एक बार फिर से खोला गया। भगवान अयप्पा मंदिर के खुलने से पहले ही सबरीमला में और उसके आसपास चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। मंदिर में माहवारी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबरीमला में पिछले महीने प्रदर्शन हुए थे।
मंगलवार को त्रावणकोर के आखिरी राजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा के जन्मदिवस के अवसर पर सोमवार शाम को पांच बजे पूजा के लिए मंदिर खोला गया। मंदिर मंगलवार को रात दस बजे बंद किया जाएगा लेकिन वह 17 नवंबर से तीन महीने लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए दर्शन के वास्ते फिर से खोला गया है। यह दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर को ‘दर्शन’ के लिए खोला गया है।
रविवार सुबह से ही एरुमेली पहुंच चुके श्रद्धालुओं ने पंबा और सन्निधानम ना जाने देने के खिलाफ सोमवार सुबह प्रदर्शन किया। उन्होंने ‘अयप्पा शरणम’ के नारे लगाते हुए यातायात अवरुद्ध कर दिया। एक नाराज श्रद्धालु ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा, ‘‘हम गत शाम से इंतजार कर रहे हैं। हमें बताया गया कि सुबह छह बजे जाने दिया जाएगा। अब वे बोल रहे हैं कि केएसआरटीसी की बसें दोपहर 12 बजे तक ही जाएंगी। हम भगवान अयप्पा की पूजा करने आए हैं। कृपया हमें जाने दें।’’
श्रद्धालु ने कहा कि अगर निजी वाहनों को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो उन्हें केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसों से पंबा ले जाया जाए। मीडियाकर्मियों को भी सोमवार सुबह नौ बजे तक यहां आधार शिविर से पंबा और ‘सन्निधानम’ (मंदिर परिसर) तक जाने नहीं दिया गया। पुलिस महानिदेशक लोकनाथ बेहरा ने कहा कि मीडियाकर्मियों पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम उन्हें अभी अनुमति नहीं दे रहे हैं। जैसे ही सुरक्षा के बंदोबस्त पूरे हो जाएंगे मीडिया को सबरीमला तथा आस-पास के स्थानों में जाने दिया जाएगा।’’ पचास वर्ष से अधिक की आयु वाली कम से कम 15 महिला पुलिसकर्मियों को ‘सन्निधानम’ में तैनात किया गया है। पंबा, निलाक्कल, ईलावुंगल और सन्निधानम में शनिवार आधी रात से 72 घंटों के लिए सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेद्याज्ञा लागू है इसमें चार या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है।
बीस सदस्यीय कमांडो टीम और 100 महिलाओं समेत 2,300 कर्मियों को सुचारू ‘दर्शन’ तथा श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया है। देवस्वओम मंत्री कडाकम्पल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि राज्य सरकार श्रद्धालुओं की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रतिबंधित आयु वर्ग की किसी महिला ने मंदिर में दर्शन के लिए पुलिस से सुरक्षा नहीं मांगी है।
अयप्पा मंदिर से निकटता से जुड़े पन्दलम शाही परिवार ने कहा कि वह सबरीमला में तथा उसके आसपास भारी सुरक्षा से ‘‘दुखी’’ है। परिवार ने कहा, ‘‘इस बात का दुख है कि श्रद्धालुओं को भारी सुरक्षा कवच के बीच मंदिर में पूजा करनी होगी।’’ पिछले महीने की हिंसा के संबंध में अभी तक 3,731 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 545 मामले दर्ज किए गए।