काले धन पर सूचना का आधिकार (RTI) कानून के तहत एक ताज़ा जवाब ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तमाम दावों की पोल खोल दी है। दरअसल दिल्ली निवासी नीरज शर्मा ने हाल ही में पनामा पेपर्स लीक और काले धन के आरोपियों के खिलाफ केंद्र द्वारा गठित बहु एजेंसी समूह ने अब तक क्या कार्रवाईयां की हैं इस पर RTI के क़ानून के तहत सूचना मांगी थी।
जवाब में भारत के वित्त मंत्रालय ने जो कहा उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काला धन से सम्बंधित अब तक के तमाम दावों की पोल खोल दी है। अपने जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस संस्था ने अब तक एक भी FIR दायर नहीं की है क्यूंकि ‘मौजूदा क़ानून में FIR दायर करने का कोई प्रावधान ही नहीं है।’
RTI के जवाब में कहा गया, “बहु एजेंसी समूह का मुख्या कार्य पनामा पेपर्स लीक से सम्बंधित जांचों में तेज़ी लाने में मदद करना है। ये जांच कई एजेंसियां कर रही हैं। इनकम टैक्स क़ानून, 1961 और कला धन और टैक्स के क़ानून 2015 के अंतर्गत FIR दायर करने का कोई प्रावधान ही नहीं है। ”
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के मंत्रालय द्वारा दी गयी इस जानकारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए RTI कार्यकर्ता नीरज शर्मा ने जनता का रिपोर्टर से खास बातचीत में कहा कि, “क्या कोई प्रधानमंत्री से पूछेगा कि वो किस तरह काला धन जमा करने वालों को जेल में डालेंगे जब उनके खिलाफ FIR दायर करने का ही कोई प्रावधान नहीं है?”
आपको बता दें की पीएम मोदी ने काला धन जमा करने वालों को अक्सर जेल भेजने की बात कहते रहते हैं। अक्सर चुनावी सभाओं को सम्बोधित करते हुए मोदी काला धन का ज़िक्र करते हैं और दोषियों को जेल भेजने का दावा करते नहीं थकते।
उत्तर प्रदेश में चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए पिछले दिसंबर में मोदी ने काले धन के आरोपी ‘अमीरों’ को जेल भेजने का दावा किया था। काले धन के मुद्दे पर उन्होंने ने पिछले लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत भी हासिल की थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।