भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार (27 नवंबर) को तीसरी बार संसद की स्टैंडिंग कमेटी यानी स्थायी समिति के सामने पेश हुए। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान उन्होंने नोटबंदी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज यानी नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) की स्थिति समेत अन्य कई मामलों के बारे में जानकारी दी। पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था।
सूत्रों ने कहा कि वित्त पर संसद की स्थायी समिति के एजेंडे में नवंबर 2016 में पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट को चलन से हटाने, आरबीआई में सुधार, बैंकों में दबाव वाली परिसंपत्तियों तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति सूचीबद्ध है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस 31 सदस्यीय वित्तीय मामलों पर संसद की इस स्थाई समिति के सदस्य हैं जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली इसके अध्यक्ष हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इतिहास में यह संभवतः पहली बार हुआ है कि जब कोई रिजर्व बैंक का गवर्नर तीन बार एक ही मुद्दे पर संसद की समिति के सामने पेश हुआ हो। इससे पहले, पटेल पैनल के सामने दो बार पेश हो चुके हैं।आरबीआई गवर्नर समिति के सामने ऐसे समय पेश हुए हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर पिछले काफी दिनों से गहरा मतभेद है।
इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो और लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज के नियमों में ढील के मामले शामिल हैं। पिछले दिनों कई रिपोर्टों ने बताया गया था कि उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। पटेल के संभावित इस्तीफे की खबर ने भारत सरकार को हिलाकर रख दिया था।