बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के कई उत्पाद क्वालिटी टेस्ट में फैल हो गए हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जबाव में यह खुलासा हुआ है। पिछले महीने सेना की कैंटीन ने भी पतंजलि के आंवला जूस पर प्रतिबंध लगा दिया था। सेना ने यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य प्रयोगशाला द्वारा की गई एक गुणवत्ता जांच में पतंजलि के उत्पाद के फेल होने पर की थी। उत्तराखंड सरकार की लैब रिपोर्ट के अनुसार, आंवला जूस में तय की गई सीमा से कम पीएच मात्रा मिला था।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, हरिद्वार की आयुर्वेद और यूनानी कार्यालय में हुई जांच में करीब 40 फीसदी आयुर्वेद उत्पाद, जिनमें पतंजलि के उत्पाद भी शामिल हैं, मानक के मुताबिक नहीं पाए गए। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013 से 2016 के बीच एकत्र किए गए 82 नमूनों में से, 32 प्रोडक्ट क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए. साथ ही पतंजलि का दिव्या अमला रस और शिवलिंगी बीज भी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए।
आपको बता दे कि इससे पूर्व बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर कोर्ट ने 11 लाख का जुर्माना लगाया था। मिथ्या छाप (मिस ब्रांडिंग) एवं भ्रामक प्रचार के पांच मामलों में दोषी पाए जाने पर एडीएम हरिद्वार (न्याय निर्णायक अधिकारी) ने पतंजलि आयुर्वेद की पांच उत्पादन यूनिटों पर ये जुर्माना लगाया था।
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब पतंजलि आयुर्वेद अपने खाद्य प्रदार्थों के गुणवत्ता के दावों को लेकर रेग्युलेटर्स के साथ विवादों में घिरी है। इससे पहले बिना लाइसेंस के नूडल्स और पास्ता बेचने के लिए उसकी खिंचाई की गई थी। तब एफएसएसएआई ने सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वह पतंजलि को उसके खाद्य तेल ब्रैंड के विज्ञापन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी करे। सीएसडी की शुरुआत 1948 में की गई थी, इसके तहत 3901 कैंटीन और 34 डिपो हैं। इसका मैनेजमेंट रक्षा मंत्रालय करता है।