जंतर-मंतर पर बोले राहुल गांधी- PM मोदी ने अपनी किताब में लिखा था ‘दलितों को सफाई करने से आनंद मिलता है’

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राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर एससी-एसटी बिल को लेकर हो रहे दलितों के प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहुंचे हैं। राहुल गांधी के साथ CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी भी जंतर-मंतर पहुंचे हैं। बता दें कि दलित संगठन जंतर-मंतर पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान राहुल ने केंद्र सरकार को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि देश भर में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं।

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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें देश में जहां भी दलितों पर अत्याचार के खिलाफ बुलाया जाएगा, वह जाएंगे। राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के दिल में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि कहा कि पीएम मोदी की सोच दलित विरोधी है। हम सब मिलकर 2019 में उन्हें हराएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा एससी-एसटी एक्ट की रक्षा की है और आगे भी करती रहेगी।

समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी की सोच और नीतियां दलित विरोधी हैं। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने किताब लिखी थी ‘दलितों को सफाई करने से आनंद मिलता है।’ पीएम मोदी की यही सोच है। अगर वह दलितों का दुख समझते तो उनकी सरकार की नीतियां कुछ और होती।

कांग्रेस अध्यक्ष ने एससी-एसटी ऐक्ट को कमजोर करने के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा एससी-एसटी एक्ट की रक्षा की है और आगे भी करती रहेगी। हम सब मिलकर 2019 में बीजेपी को हराएंगे। बता दें कि दलितों के मुद्दे पर राहुल गांधी हमेशा से मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। गौरतलब है कि दलितों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था, जिसमें हुई भारी हिंसा में कई युवकों की मौत हो गई थी।

एससी-एसटी संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित

बता दें कि लोकसभा में सोमवार को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018 पारित हो गया। इस संशोधन के जरिए सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश निष्प्रभावी हो जाएगा, जिसके तहत एससी/एसटी अत्याचार निवारण के मामले में आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। यह संशोधन विधेयक लोकसभा में केंद्रीय न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने पिछले सप्ताह पेश किया था।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर शीर्ष अदालत के आदेश को निरस्त कर एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के मूल प्रावधानों को बरकरार रखने की गुहार लगाई थी। समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक गहलोत ने लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा, ‘सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ वहां समीक्षा याचिका दाखिल की थी। उस आदेश में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) विधेयक, 1989 के वास्तविक प्रावधानों को कमजोर बनाया गया था।’

बता दें कि अदालत के आदेश में कहा गया था कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की मंजूरी जरूरी होगी लेकिन यह संभव नहीं है, क्योंकि भारत के अधिकतर जगहों पर एसएसपी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि उनके गृह प्रदेश मध्यप्रदेश में, एसएसपी केवल ग्वालियर, भोपाल और इंदौर में ही पदस्थ हैं। उन्होंने सदस्यों से भी विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया।

विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए गहलोत ने कांग्रेस से कहा कि अगर उनको एससी/एसटी के अधिकारों की रक्षा की चिंता थी तो उन्होंने 1989 में कानून के पारित होने के बाद उसे मजबूत क्यों नहीं बनाया? मंत्री ने कहा कि अधिनियम के तहत अब 47 अपराधों को शामिल किया गया है, जबकि पहले इसमें सिर्फ 22 अपराधों को शामिल किया गया था। गहलोत ने कहा, ‘हमने विधेयक को लाने में देर नहीं की। विपक्ष ने देश में अफवाह फैलाने की कोशिश की कि हम एससी/एसटी विरोधी हैं और विधेयक में विलंब कर रहे हैं।’

 

 

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