राहुल गांधी का पीएम मोदी से आग्रह, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएं

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार (5 अक्टूबर) को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का आग्रह किया। राहुल ने अपने सालभर पुराने आग्रह को दोहराते हुए ट्वीट कर कहा कि आदरणीय मोदीजी, आम जनता पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से बहुत परेशान हैं। कृपया पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएं।

फाइल फोटो: @INCIndia

राहुल ने ट्वीट कर लिखा, “आदरणीय श्री मोदीजी, आम जनता पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दामों से बहुत ज्यादा परेशान है। आप कृपया पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में ले आइए।”

राहुल का यह बयान केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2.50 रुपये की कटौती के एक दिन बाद आया है। कांग्रेस ने गुरुवार को हुई इस कटौती को ‘एक चींटी’ के रूप में उल्लेखित किया जबकि पेट्रोल और डीजल के दामों में ‘हाथी’ जैसी भारी वृद्धि थी। पिछले साल अक्टूबर में राहुल ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की थी।

एक साल में पेट्रोल की कीमतें 90 रुपये जबकि डीजल 80 रुपये के आसपास पहुंच गई है। गौरतलब है कि सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क घटाने की घोषणा की है जिसके कारण इसके दाम ढाई रुपये घटे हैं। कांग्रेस ने इसे जनता के गुस्सा और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उठाया गया कदम करार दिया।

आम जनता को मिली राहत

आपको बता दें कि पेट्रोल और डीजल की मार से आम जनता को बड़ी राहत मिली है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक व्यवस्था के तहत 2.50 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की। केंद्र सरकार की घोषणा के बाद भाजपा/राजग शासित अधिकतर राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य स्तरीय करों में भी कटौती की है। इससे इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पांच रुपये प्रति लीटर तक कम हो गई हैं।

कच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय बाजार में लगतार तेजी के बीच देश में डीजल पेट्रोल के दाम काफी ऊंचे हो गए हैं। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र ने डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 1.50 रुपये की कमी की है और पेट्रोलियम का खुदरा काम करने वाली सरकारी कंपनियों को इन ईंधनों का भाव एक-एक रुपये प्रति लीटर कम करने और उसका बोझ खुद वहन करने के लिए कहा गया है। इससे कंपनियों पर 9,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

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