उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में गंगा का जलस्‍तर बढ़ने के साथ ही बाहर आने लगे रेत में दफनाए गए शव, अधिकारी करवा रहे अंतिम संस्‍कार; देखें वीडियो

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बढ़ते मानसून और गंगा में लगातार बढ़ते जल स्तर ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में अधिकारियों के सामने एक नई चुनौती पेश कर दी है। लगातार बारिश और गंगा नदी में बढ़ते जल स्तर ने प्रयागराज में पानी में तैरते शवों की डरावनी तस्वीरें वापस ला दी हैं। गंगा नदी के किनारे रेत में दफनाए गए शव एक बार फिर से पानी में तैरते हुए देखे गए, संदेह है कि ये ‘कब्र’ कोरोना मरीजों की हैं।

प्रयागराज

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे जल स्तर बढ़ता है, रेत के किनारे उखड़ रहे हैं और शव पानी में तैर रहे हैं। पिछले दो दिनों में प्रयागराज के विभिन्न घाटों पर स्थानीय पत्रकारों द्वारा मोबाइल से खींचे गए वीडियो/तस्‍वीरों में नगरनिगम की टीम को शव बाहर निकालते हुए देखा जा सकता है।

बुधवार को लिए गए फोटो में एक शव को नदी के किनारे पर देखा जा सकता है। भगवा रंग के कफन से बाहर आ रहे इस शव के हाथ में सफेद रंग का सर्जिकल ग्‍लव्‍ज भी नजर आ रहा है। शव को प्रयागराज म्‍युनिसिपल कार्पोरेशन की टीम ने बाहर निकाला। ए‍क अन्‍य घाट के वीडियो में टीम के दो सदस्‍यों को कफन से ढंका शव निकालकर उसे किनारे की रेत पर रखते हुए दिखाया गया है।

प्रयागराज म्‍युनिसिपल कार्पोरेशन के जोनल ऑफिसर नीरज सिंह ने मीडिया को बताया कि वे पिछले 24 घंटों में 40 शवों का अंतिम संस्‍कार करवा चुके हैं। उन्‍होंने बताया कि, ‘हम पूरे अनुष्‍ठानों और विधि-विधान के साथ शवों का अंतिम संस्‍कार करवा रहे हैं।’

एक मृत व्‍यक्ति के शव के मुंह में ऑक्‍सीजन ट्यूब देखे जाने संबंधी सवाल पर उन्‍होंने माना कि ऐसा लगता है कि मौत के पहले यह शख्‍स बीमार होगा। उन्‍होंने कहा, ‘आप देख सकते हैं कि यह शख्‍स बीमार था और परिवार इस व्‍यक्ति को यहां छोड़ गया होगा। शायद वे डर गए थे, मैं नहीं कह सकता।” सभी शव ‘डिकम्‍पोज’ नहीं हुए हैं, उन्‍होंने कहा कि कुछ शवों की स्थिति बताती है कि इन्‍हें हाल ही में दफनाया गया है।

प्रयागराज की महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने मीडिया को बताया कि कई समुदायों में शवों को दफनाने की परंपरा रही है। जहां मिट्टी में शव डिकम्‍पोज (विघटित) हो जाते हैं, वह रेत में नहीं हो पाते। उन्‍होंने कहा, ‘हमें जहां भी शव मिल रहे हैं, हम उनका अंतिम संस्‍कार करवा रहे हैं।’

गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश और बिहार में कई स्थानों पर गंगा नदी के किनारे रेत में बड़े पैमाने पर उथली कब्रों के दृश्यों ने मई में कोविड -19 महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के साथ अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं। दृश्यों के कारण सार्वजनिक आक्रोश फैल गया और यह माना गया कि मौतें कोविड के कारण हुई थीं। लेकिन, इसकी पुष्टी नहीं हुई।

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