सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में PNB घोटाले की जांच की मांग वाली याचिका का मोदी सरकार ने किया विरोध

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पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में कथित तौर पर करीब 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में किए जाने से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐतराज जताया है। केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए सुनवाई के लिए अयोग्य करार दिया है। अटॉर्नी जलरल ने कहा कि सभी जांच एजेंसियां मामले की जांच में जुटी हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले वो ये सुनवाई करेगा कि याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।

फाइल फोटो

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 अप्रैल) को को स्पष्ट किया कि वह पंजाब नेशनल बैंक की धोखाधड़ी के मामले की मौजूदा जांच की निगरानी नहीं कर सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वह पहले तो इस पर फैसला करेगा कि घोटाले की जांच अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग वाली जनहित याचिका विचार के योग्य है या नहीं।

केंद्र ने अपनी ओर से कोर्ट से इस जनहित याचिका को खारिज करने की अपील की है। केंद्र ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग व गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) जैसी जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से पीएनबी घोटाला मामले की जांच कर रही हैं। सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा, ‘हम निगरानी नहीं कर सकते। उन्होंने (केंद्र) ने कहा है कि अनेक कदम उठाए गए हैं।’

याचिकाकर्ता विनीत ढांडा की ओर से वकील जे. एच. ढांडा ने इस मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी करने की अपील की। इस पर कोर्ट ने कहा, ‘हम पहले यह देखेंगे कि याचिका विचार योग्य है या नहीं।’ ढांडा ने दावा किया कि अरबपति जौहरी नीरव मोदी व मेहुल चौकसी जैसे आरोपियों ने घपला किया और देश से भाग गए जबकि ‘पूरा देश देख रहा है कि सरकार ने पहले भी विजय माल्या से जुड़े ऐसे ही मामले में कुछ नहीं किया।’

अटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने इस घोटाला मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज करने का अनुरोध किया कि कई जांच एजेंसियां पहले से ही मामले में ‘स्वतंत्र जांच’ कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट याचिका की विचारणीयता पर 23 अप्रैल को फैसला करेगा।

उल्लेखनीय है कि बैंक के इस 11,400 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में सीबीआई अरबपति नीरव मोदी, उसके रिश्तेदार गीतांजलि जेम्स के मेहुल चौकसी व अन्य के खिलाफ पहले ही 2 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है। जनहित याचिका में पीएनबी, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), वित्त, कानून एवं न्याय मंत्रालयों को पक्षकार बनाया गया है।

याचिका में बैंक धोखाधड़ी मामले में शामिल नीरव मोदी और अन्य के खिलाफ देश वापस लाने की प्रक्रिया यथासंभव 2 महीने के भीतर शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नीरव मोदी और चौकसी की कथित संलिप्तता वाले मामले की विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराई जाए।

साथ ही पीएनबी के शीर्ष प्रबंधन की भूमिका की भी एसआईटी से जांच का अनुरोध किया गया है। याचिका में वित्त मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि मंत्रालय बड़ी राशि वाले कर्ज की मंजूरी देने और उनकी अदायगी पर दिशानिर्देश तय करे। इसके अलावा ऐसे कर्जों की सुरक्षा एवं कर्ज वसूली सुनिश्चित की जाए।

 

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