प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संत कबीर के आदर्शों और जीवन दर्शन को आगे रखते हुए गुरुवार (28 जून) को उत्तर प्रदेश के मगहर में विपक्षी दलों पर जबर्दस्त हमला बोला। मोदी ने कहा कि कुछ दल महापुरूषों के नाम पर स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं और समाज को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। मोदी यहां मगहर में कबीर के निर्वाण स्थल के दर्शन के बाद एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
Photo: @narendramodiप्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया मगहर को संत कबीर की निर्वाण भूमि के रूप में जानती है, लेकिन आजादी के इतने वर्ष बाद यहां भी स्थिति वैसी नहीं है, जैसी होनी चाहिए थी। भाषण की शुरूआत स्थानीय भाषा भोजपुरी से करने वाले पीएम मोदी ने भाषण का समापन तीन बार ‘साहिब बंदगी’ बोलकर किया। जनसभा से पहले मोदी ने संत कबीर की मजार पर चादर चढायी। पुष्प अर्पित किये। उन्होंने संत कबीर अकादमी का शिलान्यास भी किया।
गलत बोल गए पीएम मोदी
हालांकि, जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर गलत तथ्य बता बैठे, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया है। दरअसल जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “ऐसा कहते हैं कि यहीं पर (मगहर में) संत कबीर, गुरु नानक देव और बाबा गोरखनाथ जी ने एक साथ बैठकर के आध्यात्मिक चर्चा की थी।”
आपको बता दें कि इतिहासकारों के मुताबिक पीएम मोदी ने जो कहा तथ्य उसकी पुष्टि नहीं करता है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के मुताबिक नाथ संप्रदाय की स्थापना करने वाले बाबा गोरखनाथ का जीवनकाल संत कबीर और गुरु नानक से बहुत पहले का है। बाबा गोरखनाथ का जन्म 11वीं शताब्दी में हुआ था। वहीं संत कबीर का जन्म 14वीं शताब्दी (1398 -1518) में हुआ था। जबकि गुरु नानक का जन्म 15वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी (1469-1539) के बीच की है। इससे साफ है कि इन तीनों संतों के एक साथ चर्चा करने की पीएम मोदी की बात तथ्यों से परे है।
PM Modi felt “dhanyata” at Maghar in UP because Baba “Gorakhnath, Saint Kabir and Guru Nanak sat together and discussed spiruality there”
Baba Gorakhnath lived in 11th Century.
Kabir was born in 1398 and Guru Nanak in 1469.
For Modi History is His Story
https://t.co/lLafbW65Z8— Ravi Nair (@t_d_h_nair) June 29, 2018
History was not part of "Entire Political Science" – a non-existent course. He just keeps on lying and lying. Will he ever stop?
https://t.co/isWZA0tUFw via @indiatoday— Ranjit Kumar (@RanjitOne) June 29, 2018
मोदी जी का क़सूर नहीं है। जो प्रचारकों को इतिहास का पाठ पढाया जाता है उसके अलावा वे और कुछ नहीं पढ़ते। https://t.co/CjlxYTWvdL
— digvijaya singh (@digvijaya_28) June 29, 2018
What do you call this person who had absolutely no knowledge about history or what he's talking about, yet he keeps on blabbering non stop!
Baba Gorakhnath lived in 11th Century.
Kabir was born in 1398 and Guru Nanak in 1469.https://t.co/JNoqTyh2ow https://t.co/N3jOoOSX8M
— KilaFateh #5YearsSuffering (@KilaFateh) June 29, 2018
This Happens ?
When One Who Does Not Know,
Does Not Even Know
That He Does Not Know,
And Keeps Flaunting Ignorance in
Daily BhashansBaba Gorakhnath lived in 11th Century,
Kabir was born in 1398 and Guru Nanak in 1469https://t.co/rUsZwfgj11 https://t.co/ASVUYb8XpY
— Geet V (@geetv79) June 29, 2018
And he's the guy who's gonna tell us who was and who wasn't great in Indian history! https://t.co/gGGwc3BwTn
— Mandeep Singh Bajwa (@MandeepBajwa) June 29, 2018
Prime Minister Modi gets history wrong again, this time in Maghar. Addressing a public meeting in Maghar Modi got his facts wrong. Said Kabir, Guru Nanak and Baba Gorakhnath lived around the same time. Gorakhnath lived in the 11th century. Kabir and Nanak in 15th-16th centuries. pic.twitter.com/YJfdcNb8mQ
— Nandan Pratim Sharma Bordoloi ?? (@NANDANPRATIM) June 29, 2018
बाबा गोरखनाथ 11 वीं सदी में रहते थे,
कबीर का जन्म 1398 में हुआ और 1469 में गुरु नानक.!
भाई अब इन्हे सही इतिहास का ज्ञान दिला दो भाई। https://t.co/3sTtZXhtCP— Berozgaar Deepak Shukla® دیپک شکلا (@Deep4IND) June 29, 2018
Mr @PMOIndia the next time you come out asking for votes please make sure u display ur farzi degree. I knew this long tine a ago that ur just fooling everyone, now let the ones who voted for u know how big a fool they are voting for you. https://t.co/ngdgnFrJRJ
— Dr. Shakil Ahmad (@SHAKOWAKO) June 29, 2018
Baba Gorakhnath lived in 11th Century,
Kabir was born in 1398 and Guru Nanak in 1469
भाई कोई अब इन्हे सही इतिहास का ज्ञान दिला दो भाई। ???
@divyaspandana @HasibaAmin @RuchiraC @Zoheb_Sh@priyankac19 @AlkaDewangan @KPadmaRani1 @sakshijoshii https://t.co/3sTtZXhtCP— Berozgaar Deepak Shukla® دیپک شکلا (@Deep4IND) June 29, 2018
मोदी जी का क़सूर नहीं है। जो प्रचारकों को इतिहास का पाठ पढाया जाता है उसके अलावा वे और कुछ नहीं पढ़ते। https://t.co/L9X1Td1l8y
— Abhishek Dimha (@AbhishekDimha1) June 29, 2018
पहले भी इतिहास से छेड़छाड़ कर चुके हैं पीएम मोदी
बता दें कि इससे पहले भी पीएम मोदी अपने भाषणों के दौरान गलती कर चुके हैं। अभी हाल ही में कर्नाटक में चुनावी सभा के दौरान पीएम ने पूर्व रक्षामंत्री वी के कृष्ण मेनन के कार्यकाल के बारे में जो बातें कहीं, उसपर स्वराज अभियान के अगुआ योगेंद्र यादव ने भी सवाल खड़े किए थे। इतना ही नहीं उन्होंने पीएम को सलाह भी दी थी।
दरअसल पीएम मोदी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘कर्नाटक वीरता की पर्यायवाची है लेकिन कांग्रेस ने फील्ड मार्शल के एम करियप्पा और जनरल थिमाया के साथ क्या किया? इतिहास इसका एक सबूत है। 1948 में पाकिस्तान को हराने के बाद जनरल थिमाया को प्रधानमंत्री नेहरू और रक्षामंत्री कृष्ण मेनन ने अपमानित किया था।’
पीएम मोदी के इस बात को रीट्वीट करते हुए आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने लिखा था, ‘नहीं सर, कृष्ण मेनन अप्रैल 1957 से अक्टूबर 1962 तक देश के रक्षामंत्री रहे। इसके अलावा जनरल थिमाया मई 1957 से मई 1961 तक आर्मी चीफ थे। सर क्या पीएमओ एक ऐसा आदमी नहीं रख सकता, जो तथ्यों की जांच करे? यह बहुत ही शर्मनाक है!’
No sir, Krishna Menon was Defence Minister from April 1957 to October 1962.
General Thimmayya was Army Chief from May 1957 to May 1961
Sir can't the PMO afford a fact-checker?
It's so embarrassing! https://t.co/Kx8DmzID0I— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 3, 2018
वहीं, अमेरिकी दौरे पर गए पीएम मोदी ने कोणार्क के सूर्य मंदिर का जिक्र करते हुए कहा था कि ये 2000 साल पुराना है, जबकि ये 700 साल पुराना है। इसके अलावा पीएम मोदी ने वर्ष 2013 में पटना की बहुचर्चित रैली में बिहार की शक्ति का जिक्र करते हुए सम्राट अशोक के बारे में बात किया था। इस दौरान उन्होंने पाटलिपुत्र का जिक्र किया और फिर नालंदा और तक्षशिला का। जबकि, सच्चाई यह है कि तक्षशिला का पंजाब का हिस्सा रहा है और अब पाकिस्तान में है।