सिक्किम सेक्टर में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच भारतीय सेना ने सोमवार(3 जुलाई) को स्पष्ट किया कि चीनी सेना ने उसके बंकरों को नष्ट करने के लिए किसी बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया। सेना ने साथ ही इस बात से इनकार किया कि सीमा पर चीन के साथ जारी गतिरोध वर्ष 1962 के बाद से सबसे लंबा है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई द्वारा जारी एक खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए सेना के एक प्रवक्ता द्वारा यहां जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि, यह घटना दोनों देशों के बीच सबसे लंबा गतिरोध नहीं है। पीटीआई की खबर में गतिरोध की विस्तृत जानकारी दी गई थी।
उन्होंने साथ ही कहा कि भारतीय बंकरों को नष्ट करने के लिए किसी बुलडोजर का ‘कभी भी इस्तेमाल’ नहीं किया गया और न ही भारतीय सेना तथा चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के बीच कोई धक्का मुक्की हुई। इससे पहले सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा था कि भारतीय बंकरों को नष्ट करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि छह जून को इस तरह की कोई घटना नहीं हुई और विदेश मंत्रालय के उस बयान की तरफ संकेत किया, जिसमें घटना की तारीख 16 जून बताई गई थी। उन्होंने साफ किया कि “विभिन्न तंत्र भारत-चीन संबंध और साथ ही दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को काफी अच्छे तरीके से संभाल रहे हैं।”
प्रवक्ता ने कहा कि, रक्षा मंत्रालय या भारतीय सेना ने न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया और ना ही कोई अनौपचारिक जानकारी दी और ऐसा इसलिए, क्योंकि इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों को मीडिया की नजरों से दूर, दोनों देशों के स्तर पर अच्छी तरह से निपटा जाता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में चूंकि कुछ घटनाएं जो घटी हैं उनमें भूटान शामिल रहा है, इसलिए विदेश मंत्रालय पहले ही मुद्दे पर काफी जानकारी दे चुका है।