सुप्रीम कोर्ट इस बात पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है कि लोकप्रिय सॉफ्ट ड्रिंक ‘निंबूज’ नींबू पानी है या फ्रूट पल्प या जूस बेस्ड ड्रिंक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए जाने के बाद, इस प्रोडक्ट पर लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क की सही मात्रा निर्धारित होगी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका पर जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्न की दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। अदालत ने 11 मार्च को सुनवाई में घोषणा की थी। मामला मार्च 2015 से चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ‘निंबूज’ का वर्गीकरण होगा।
याचिका आराधना फूड्स नाम की एक कंपनी ने दायर की है जो चाहती है कि इस ड्रिंक को ‘फ्रूट पल्प या फ्रूट जूस बेस्ड ड्रिंक’ की वर्तमान स्थिति के बजाय नींबू पानी के रूप में वर्गीकृत किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल में याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है।
वर्तमान वर्गीकरण पिछले साल नवंबर में सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) की इलाहाबाद पीठ के फैसले पर आधारित है। न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति पी वेंकट सुब्बा राव की पीठ ने अपने फैसले में ‘निंबूज’ को फलों के रस पर आधारित ड्रिंक के रूप में वर्गीकृत किया था, जिसके कारण यह केंद्रीय उत्पाद शुल्क CETH 2022 के प्रावधान 10/20 के तहत आया।
मेसर्स आराधना फूड्स ने उस आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है, जिसमें तर्क दिया गया है कि पेय को केंद्रीय उत्पाद शुल्क टैरिफ अधिनियम 1985 की पहली अनुसूची के CETH 2022 के प्रावधान 10/20 के तहत वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
कंपनी को फरवरी 2009 से दिसंबर 2013 तक नींबू पानी के रूप में शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा गया था। आराधना फूड्स की दलील है कि उत्पाद शुल्क विभाग अप्रैल से दिसंबर 2013 में उनकी दलील मान भी चुका है लेकिन उसके बाद विभाग अपनी जिद पर अड़ गया।
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