‘एनडीटीवी इंडिया’ के मशहूर एंकर और भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने नोटबंदी के चार साल होने पर एक फेसबुक पोस्ट लिखा है, जो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। बता दें कि, आज नोटबंदी के चार साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी जिसके तहत 500 और 1000 रूपये के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे।

बता दें कि, ठीक चार बरस पहले प्रधानमंत्री मोदी ने आठ नवंबर को रात आठ बजे दूरदर्शन के जरिए देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। नोटबंदी की यह घोषणा उसी दिन आधी रात से लागू हो गई। इससे कुछ दिन देश में अफरातफरी का माहौल रहा और बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें नजर आईं। बाद में 500 और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए गए। जानकारों ने तभी नोटबंदी के फैसले के कारण अर्थव्यवस्था की हालत बुरी होने, बेरोजगारी बढ़ने और सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी कम होने की आशंका जताई थी और नोटबंदी के बाद जितने भी रिपोर्ट आए उसमें यह साबित भी हुआ।
नोटबंदी के चार साल पूरे होने पर NDTV के एंकर रवीश कुमार ने रविवार (8 नवंबर, 2020) को अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखा है। अपने इस फेसबुक पोस्ट के जरिए रवीश कुमार ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। रवीश के इस पोस्ट का शीर्षक है- “नोटबंदी के चार साल: मोदी ने भारत को कपोर-कल्पनाओं का देश बना दिया है।”
पढ़िए, रवीश कुमार का पूरा पोस्ट:
चार साल पहले आज ही के दिन नोटबंदी हुई थी। उसी दिन से सत्यानाश की कहानी शुरू हो गई। कई तरह के दावे हुए कि ये ख़त्म हो जाएगा वो ख़त्म हो जाएगा। मूर्खतापूर्ण फ़ैसले को भी सही ठहराया गया। बड़े और कड़े निर्णय लेने की सनक का भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत गहरी क़ीमत चुकानी पड़ी है। दशकों की मेहनत एक रात के फ़ैसले से तबाह हो गई। हफ़्तों लोग लाइन में लगे रहे। लोगों के घर में पड़े पैसे बर्बाद हो गए। सबको एक लाइन से काला धन करार दिया गया और काला धन कहीं और के लिए बच गया। उसके लिए बना इलेक्टोरल फंड। जिसमें पैसा देने वाले का नाम गुप्त कर दिया गया। उस वक्त इस फ़ैसले को सबसे बड़ा फ़ैसला बताया गया मगर अपनी मूर्खता की तबाही देख सरकार भी भूल गई। मोदी जी तो नोटबंदी का नाम नहीं लेते है। मिला क्या उस फ़ैसले से?
मोदी सरकार ने नोटबंदी कर लघु व छोटे उद्योगों की कमर तोड़ दी। हिन्दू मुस्लिम नफ़रत के नशे में लोग नहीं देख सके कि असंगठित क्षेत्र में मामूली कमाने वाले लोगों की कमाई घट गई। उनका संभलना हुआ नहीं कि जीएसटी आई और फिर तालाबंदी। तीन चरणों में अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देश को बेरोज़गारी की आग में झोंक दिया। लाखों करोड़ों घरों में आज उदासी है। भारत को संभावनाओं का देश बनाने की जगह कपोर-कल्पनाओं का देश बना दिया। युवाओं की एक पूरी पीढ़ी बर्बाद हो गई। उनके सपनों में नफ़रत भर दी गई। बुज़दिल बना दिए गए। उन्हें हर बात में धर्म की आड़ में छिपना बतला दिया। महान बनने की सनक का दूसरा नाम है- नोटबंदी।