पिछले दिनों मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के सभी स्कूलों में सप्ताह में कम से कम दो बार राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य कर दिया। जिसके बाद देश के अलग-अगल राज्यों में वंदे मातरम गाने को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई। महाराष्ट्र विधानसभा में भी इसे लेकर काफी हंगामा हुआ है। इन हंगामों के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी अपने विचार रखे हैं, जो शायद उनकी पार्टी के विचारों से मेल नहीं खा रही है।नकवी ने शनिवार(29 जुलाई) को कहा कि ‘वंदे मातरम’ गाना’ अपनी पसंद की बात’ है और जो लोग इसे गाने से इनकार कर रहे हैं, उन्हें देशद्रोही नहीं करार दिया जा सकता। संसदीय मामलों और अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा, ‘वंदे मातरम गाना पूरी तरह किसी की अपनी पसंद है। जो लोग गाना चाहते हैं वे गा सकते हैं और जो गाना नहीं चाहते वे ना गाएं। इसे नहीं गाना किसी को देशद्रोही नहीं बनाता।’
उन्होंने कहा कि अगर कोई जानबूझकर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित राष्ट्र गीत का विरोध करता है तो यह ‘सही नहीं है’ और ‘देश के हित में नहीं है।’ बता दें कि महाराष्ट्र विधान परिषद् में शुक्रवार(28 जुलाई) को वंदे मातरम गाने को लेकर विवाद हो गया था, जहां बीजेपी विधायकों ने समाजवादी पार्टी(सपा) के विधायक अबु आसिम आजमी का इसलिए जोरदार विरोध किया कि वह राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में ‘वंदे मातरम’ के गायन को आवश्यक बनाने की मांग का विरोध कर रहे थे।
तमिलनाडु के सभी स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य
बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के सभी स्कूलों में सप्ताह में कम से कम दो बार राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाना अनिवार्य कर दिया है। सरकारी व निजी प्रतिष्ठान भी माह में एक बार इसका आयोजन करेंगे। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि बंगाली व संस्कृत में गाने में परेशानी हो तो तमिल में इसका अनुवाद किया जाए।
जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने अपने फैसले में कहा कि सोमवार व शुक्रवार को सरकारी व निजी स्कूलों में इसका आयोजन किया जाए। किसी संस्थान या व्यक्ति को इसे गाने या बजाने में परेशानी हो तो उसके साथ जबरदस्ती न की जाए, लेकिन ऐसा न करने पर कोई ठोस कारण बताया जाना जरूरी है।