केंद्र की मोदी सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में इस बात को पहली बार स्वीकारा है कि, नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्युु एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 को ताइवान में हुई थी। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जवाब दिया है, “शहनवाज कमेटी, जस्टिस जीडी खोसला कमीशन और जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्टें देखने के बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि नेताजी 1945 में विमान दुर्घटना में मारे गए थे। ”
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है, “मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 114-122 पर गुमनामी बाबा और भगवानजी के बारे में जानकारी उपलब्ध है। ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय की साइट mha.nic.in पर मौजूद है। गृह मंत्रालय ने नेताजी से जुड़ी 37 गोपनीय फाइलें सार्वजनिक कर दी हैं।” ख़बरों के अनुसार, यह आरटीआई सायक सेन नामक व्यक्ति ने दायर की थी। इसी साल अप्रैल आरटीआई द्वारा सूचना मांगने वाले सायक सेन “ओपेन प्लेटफॉर्म फॉर नेताजी” प्रवक्ता हैं।
सायक सेन का कहना है कि,“मैं इस जवाब से स्तब्ध हूं। अगर सरकार इस नतीजे पर पहुंच चुकी है तो फिर सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने का क्या मतलब?” सायक सेन ने बताया कि नेताजी के परिजन एवं अन्य लोग 18 अगस्त को कोलकाता में और अक्टूबर में दिल्ली में नेताजी की मौत से जुड़ा सच सामने लाने की मांग करते हुए रैली निकालेंगे।
वहीं दूसरी और नेताजी के परपोते और बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष चंद्रा बोस ने कहा है कि, “ये गैर-जिम्मेदार कदम है बगैर किसी ठोस सबूत के कोई सरकार नेताजी की मौत पर अंतिम राय कैसे बना सकती है।” चंद्रा बोस ने केंद्र सरकार के जवाब को “बहुत ही आपत्तिजनक” बताया। चंद्रा बोस ने कहा कि वो इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाएंगे। चंद्रा बोस ने कहा, “उन्होंने (पीएम मोदी) 70 साल बाद गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए।
चंद्र बोस ने कहा कि सार्वजनिक की गईं फाइलों की छानबीन चल रही है और “मुखर्जी कमीशन ने साफ लिखा कि नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। कांग्रेस ने राजनीतिक वजहों से मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट खारिज कर दी थी।”