चीन से रिश्तों में उतार चढ़ाव के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कथित तौर पर अपने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बौद्ध धर्मगुरु के भारत में निर्वासन के 60 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों से दूर रहें।
फाइल फोटोजनसत्ता.कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कहा है कि इस वक्त देश के संबंध चीन के साथ बेहद नाजुक दौर में हैं। ऐसे में हमें तिब्बत के अध्यात्मिक गुरु और नेता दलाई लामा के कार्यक्रमों में जानें से बचना चाहिए। सरकार ने इसी संबंध में एक सूचना भी जारी की है, जिसमें वरिष्ठ नेताओं और केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को मार्च के अंत और अप्रैल महीने की शुरुआत में होने वाली ‘थैंक यू इंडिया’ के कार्यक्रम में न शामिल होने की हिदायत दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 22 फरवरी को जारी की गई सूचना को विदेश सचिव विजय गोखले ने कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा को भेजा था। चार दिनों के बाद सिन्हा ने इस बारे में वरिष्ठ नेताओं और सरकारी कर्चमारियों को जानकारी दी। उन्होंने सभी से दलाई लामा के कार्यक्रम में हिस्सा न लेने के लिए कहा। बता दें कि चीन तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु को खतरनाक अलगाववादी बताता आया है।
नवजीवन.कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि दलाई लामा को लेकर उसके स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। सरकार ने कहा, दलाई लामा एक सम्मानित धार्मिक नेता हैं, देश के लोग उनका सम्मान करते हैं। वे भारत में अपनी किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि को पूरा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को तिब्बत छोड़े हुए 60 साल पूरे हो रहे हैं, इस मौके पर 1 अप्रैल, 2018 को दिल्ली के त्यागराज स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। ‘थैंक यू इंडिया’ नाम से आयोजित होने जा रहे इस कार्यक्रम में दलाई लामा भारत के कई बड़े नेताओं समेत कई नामी हस्तियों को कार्यक्रम में आने के लिए निमंत्रण देंगे।
बता दें कि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले चीन और पाकिस्तान के खिलाफ एक आधिकारिक दृष्टिकोण को अपनाने का दावा किया था। अरुणाचल प्रदेश में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, दुनिया बदल गई है। एक विस्तारवादी मानसिकता स्वीकार नहीं की जाएगी। चीन को भी ऐसी मानसिकता से दूर रहना होगा।
एक अन्य रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि, भारतीय विदेश मंत्री चीन गए उसने चीनी कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाई है और उन्होंने आंख दिखाकर चीन से बात की।
वहीं, दूसरी ओर सरकार के इस सुचना का सोशल मीडिया भी पर मजाक उड़ाया जा रहा है।
Modi's whimsical stupidity has already destroyed India's working relationship with China – But, Modi is not only stupid, but also a coward! https://t.co/JvgaIfeS1A
— Ashok Swain (@ashoswai) March 2, 2018
UNFORTUNATE: MEA didn't protest China's refusal—in breach of two bilateral MOUs—to share upstream data on Brahmaputra and Sutlej or its cutting off Indian pilgrims' access to two sacred sites in Tibet. And now this, when India should be doing the opposite. https://t.co/8RBD3mJvMJ
— Brahma Chellaney (@Chellaney) March 2, 2018
Unprecedented position taken by Modi Govt on Tibetan leaders in exile. Fake bravado on China & useless public campaigns by RSS & likes of Ramdev on product boycotts all to distract us…५६ इंच की छाती नहीं हाथी के दाँत है इनके! #DalaiLama https://t.co/k9e9ehOUvO
— Jayant Singh (@jayantrld) March 2, 2018