भारत में यदि किसी दंपती को संतान बच्चा नहीं होता, तो इस का जिम्मेदार केवल महिला को ठहराया जाता है। जबकि महिला को मां बनाने में नाकाम होना पुरुष की मर्दानगी पर सवाल होता है, पुरुष भी इस के लिए कम जिम्मेदार नहीं और दोनों ही स्थितियों के स्पष्ट शारीरिक कारण हैं। लेकिन हाल ही में पुरुषों पर एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है।
साइंटिफिक स्टडीज की प्रमुख समीक्षा के मुताबिक, पिछले 40 सालों में पश्चिमी देशों में रहने वाले पुरुषों के स्पर्म काउंट में 60 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। इसका कारण मॉर्डन वर्ल्ड माना जा रहा है जो पुरुषों की हेल्थ पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।
ख़बरों के मुताबिक, एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड शेर्प का कहना है कि उत्तरी यूरोप में आज 15% युवा पुरुषों में इतना कम स्पर्म काउंट है कि उनकी प्रजनन क्षमता बिगड़ रही है और जब ये महिलाएं 30 की उम्र के बाद फैमिली प्लानिंग करती हैं तो ये रेट डबल हो जाता है।
यानि कपल्स की फर्टिलिटी अधिक डाउन हो जाती है साथ ही शोधकर्ताओं का कहना है कि टेस्टिकुलर कैंसर से पीडि़त पुरुषों के रिप्रोडक्शन स्तर तो खराब होता ही है इसके अलावा उनकी सेक्स इच्छा में कमी भी बढ़ जाती है।
जानिए स्पर्म की संख्या कम होने के कारण: केमिकल्स, फर्नीचर में इस्तेमाल हुए रिटर्डेंट, डाइट में ज्यादा एल्कहोल, कैफीन, प्रोसेस्ड मीट, सोया और आलू पुरुषों की फर्टिलिटी पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
ख़बरों के मुताबिक, समीक्षा करने वाले शोधकर्ताओं ने बताया, इजरायल, अमेरिका, डेनमार्क, ब्राजील और स्पेन का कुल स्पर्म काउंट 1971 से 2011 के बीच 59.3% घटा है जबकि यूरोप, नॉर्थ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड में स्पर्म काउंट 52.4% तक घटा है।