जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार की शाम हिरासत से छूटने के बाद अपने पहले बयान में कहा कि धारा 370 को निरस्त करने का फैसला हिरासत के दौरान उनके दिलो दिमाग पर छाया रहा।
उन्होंने कहा कि वह निर्णय को बदलने के लिए लड़ेंगी। उन्होंने एक ऑडियो संदेश में कहा, “उस काले दिन में जो काला फैसला हुआ वो पूरी नजरबंदी के दौरान मेरे दिल और रुह पर वार करता रहा। जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोगों की भावनाएं ऐसी ही रही होंगी, कोई भी व्यक्ति उस दिन की बर्बरता और अपमान को नहीं भूलेगा।” उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 को रद्द करना एक अवैध और अलोकतांत्रिक फैसला था।
उन्होंने आगे कहा, “जम्मू और कश्मीर के लोगों को इस फैसले को पलटने और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए सर्वसम्मति से लड़ना होगा, जिसने हजारों लोगों की जान ली। यह काम आसान नहीं है, लेकिन हमारी ढ़ता हमें मार्गदर्शन देगी।” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि देश भर की विभिन्न जेलों में बंदी बनाए गए सभी लोगों को रिहा किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि वह एक साल से ज्यादा समय से पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में थीं। राज्य गृह विभाग के सिविल सेक्रेटेरिएट ने अपने पत्र (जिसकी प्रति आईएएनएस के पास मौजूद है) में कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा को तुरंत प्रभाव से हिरासत से मुक्त किए जाने का आदेश दिया गया है। उन्हें ‘जम्मू एवं कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट की धारा 19(1) के तहत लागू प्रतिबंधों से मुक्त किया जाता है।’
बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने के साथ ही एहतियातन पीएसए के तहत 444 लोगों को हिरासत में लिया गया था। इनमें से ज्यादातर लोगों को अब रिहा कर दिया गया है। कुछ लोगों को इस शर्त पर रिहाई दी गई कि वे कोई भी राजनीतिक बयान जारी नहीं करेंगे।
हिरासत में लिए गए लोगों में मुफ्ती के अलावा घाटी के प्रमुख बड़े नेता उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला भी शामिल थे। महबूबा को उनके आधिकारिक आवास फेयरव्यू बंगले में हिरासत में रखा गया था। हिरासत के साथ ही प्रशासन ने इस बंगले को उपजेल घोषित किया था। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)