भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सल से जुड़े होने के आरोप में अपने घर में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा नजरबंदी से मुक्त करने के फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग कर सकती है। आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने नवलखा के ट्रांजिट रिमांड के आदेश को रद्द कर दिया था।
आपको बता दें कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सल से जुड़े होने के आरोप में अपने घर में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को सोमवार (1 अक्टूबर) को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत दी थी। हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ताओं में शामिल गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने की सोमवार को इजाजत दे दी।
#BhimaKoregaonCase: Maharashtra government moves Supreme Court against the release of social activist Gautam Navlakha from house arrest.
— ANI (@ANI) October 3, 2018
हाईकोर्ट ने नवलखा को राहत देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें आगे के उपायों के लिए चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रूख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है। कोर्ट ने निचली अदालत की ट्रांजिट रिमांड के आदेश को भी रद्द कर दिया। मामले को शीर्ष न्यायालय में ले जाए जाने से पहले इस आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि नवलखा को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखा गया, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। आपको बता दें कि नवलखा को राजधानी दिल्ली से 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन अन्य चार कार्यकर्ताओं को देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 सितंबर को पांचों कार्यकर्ताओं को फौरन रिहा करने की एक याचिका खारिज करते हुए कहा था कि महज असमति वाले विचारों या राजनीतिक विचारधारा में अंतर को लेकर गिरफ्तार किए जाने का यह मामला नहीं है। इन कार्यकर्ताओं को भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरोपी और चार हफ्ते तक नजरबंद रहेंगे, जिस दौरान उन्हें उपयुक्त अदालत में कानूनी उपाय का सहारा लेने की आजादी है। उपयुक्त अदालत मामले के गुण दोष पर विचार कर सकती है। महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
आरोप है कि इस सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। इन पांच लोगों में तेलुगू कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरूण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस, मजदूर संघ कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता नवलखा शामिल थे।