दिल्ली में मंगलवार (7 नवंबर) को वायु प्रदूषण ‘बेहद गंभीर’ स्तर पर पहुंच गया। प्रदूषण परमीसिबल स्टैंडर्ड (अनुमेय स्तर या सहन करने योग्य स्तर) से कई गुना अधिक होने के चलते पूरी दिल्ली धुंध की मोटी चादर में लिपट गई। बीती शाम से वायु की गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट आ रही है तथा नमी और प्रदूषकों के मेल के कारण शहर में घनी धुंध छा गई है।मंगलवार सुबह 10 बजे तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हवा की गुणवत्ता को ‘बेहद गंभीर’ स्थिति में बताया, जिसका मतलब यह है कि प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। वर्तमान हालात के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसी) द्वारा ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत तय उपाय इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं, जिसमें पार्किंग शुल्क को चार गुना बढ़ाया जाना शामिल है।
सिसोदिया से स्कूल बंद करने का किया आग्रह
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली गैस चेंबर बन गई है। साथ ही केजरीवाल ने शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया से दिल्ली के स्कूल बंद करने पर विचार करने को कहा है। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली गैस चैंबर बन चुका है। हर बार इस समय ऐसा ही होता है। अन्य राज्यों में पुआल जलाने की समस्या का समाधान ढूंढना ही होगा।’
साथ ही केजरीवाल ने एक अन्य ट्वीट कर कहा कि, ”प्रदूषण के बढ़े स्तर को देखते हुए, मैंने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से स्कूलों को कुछ दिनों तक बंद रखने पर विचार करने का आग्रह किया है। वहीं भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने भी बच्चों की सेहत पर वायु प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों को देखते हुए दिल्ली सरकार से अपील की है कि वह स्कूलों में आउटडोर खेलों और ऐसी अन्य गतिविधियों को बंद करवाए।
Delhi has become a gas chamber. Every year this happens during this part of year. We have to find a soln to crop burning in adjoining states
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 7, 2017
Considering high level of pollution, I have requested Sh Manish Sisodia, Education Minister, to consider closing schools for a few days
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 7, 2017
बता दें कि पिछली बार हवा की गुणवत्ता दीपावली के एक दिन बाद 20 अक्तूबर को बेहद गंभीर स्थिति में पहुंची थी। तब से प्रदूषण के स्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और हवा की गुणवत्ता ‘काफी खराब’ स्तर पर बनी हुई है। यह ‘अत्यंत गंभीर’ से बेहतर स्थिति है लेकिन वैश्विक मानकों के मुताबिक यह भी खतरनाक है।