गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वनीयता पर उठे सवालों के बीच कर्नाटक के सूचना तकनीकी एवं पर्यटन मंत्री प्रियांक खड़गे ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम को हैक करने की चुनौती देते हुए कहा है कि मशीन में छेड़छाड़ की दावों साबित करने के लिए हैकथॉन करवाया जाए। बता दें कि, राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले है और चुनावों से कुछ महीने पहले ही उन्होंने यह पत्र लिखा है।
प्रियांक खड़गे ने अपने ट्विटर पर पत्र शेयर किया है जिसमें लिखा है कि, पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों ने बड़े पैमाने पर ईवीएम के उपयोग पर तकनीकी रूप से संदेह जताया है और चुनाव में उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए इसके साथ तकनीकी रूप से समझौता करने की संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि मैं कर्नाटक सरकार और EC द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक ईवीएम चुनौती की मेजबानी करने का प्रस्ताव करना चाहता हूं। जिसमें सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि तकनीकी समुदाय, वैज्ञानिक, कॉर्पोरेट्स, आरएंडडी संस्थानों, स्टार्टअप और टिंकरर जैसे वैज्ञानिक समुदाय के महत्वपूर्ण लोगों को आमंत्रित किया जाए।
Wrote to the Election Commission for an EVM challenge that can be opened up for the scientific community rather than political parties. Also random verification of VVPATs would help to ensure clear doubts on EVMs. pic.twitter.com/7anzPbZj5C
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) January 2, 2018
बता दे कि, पिछले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, और मणिपुर विधानसभा चुनावों के बाद तमाम राजनीतिक दलों की तरफ से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए थे। जिसके बाद से ईवीएम पर जारी घमासान अभी भी जारी है। पिछले दिनों गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी ईवीएम को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए थे।
बता दें कि, पिछले दिनों ‘जनता का रिपोर्टर’ के खुलासे में यह पता चला था कि 20,000 करोड़ रुपये के गैस घोटाले के लाभार्थियों को अमेरिकी कंपनी से जोड़ा जा सकता है जो भारतीय ईवीएम के लिए माइक्रोचिप्स बना रहा था। हमारी रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ था कि विदेशी निर्माताओं द्वारा माइक्रोचिप्स के साथ छेड़छाड़ की संभावना कैसे हो सकती है।
बता दें कि, खड़गे का यह अनुरोध राज्य के मुख्यमंत्री के उस बयान के बाद आया है, जिमसे सीएम सिद्धारमैया ने खुद ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त किया था। सिद्धारमैया ने कहा था कि आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान मतपत्रों का उपयोग होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ छेड़छाड़ हो सकती है।
पिछले साल दिसंबर में रायचूर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि, ये भले ही निष्पक्ष संवैधानिक संस्था है, वे (केन्द्र सरकार) मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करते हैं। हम ये कहना चाहते हैं कि पुरानी (मतपत्र) प्रणाली में जाइए, इसमें मुश्किल क्या है? यह सिर्फ हम नहीं है, उत्तर प्रदेश के चुनाव में मायावती जैसे अन्य लोगों ने भी इस मुद्दे को उठाया था।
इस बीच, चुनाव आयोग ने कहा कि यह विधानसभा चुनावों के लिए राज्य में कम से कम 8,000 ईवीएम के बड़े प्रदर्शन का आयोजन करेगा। द हिन्दू के मुताबिक, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने कहा है कि, कर्नाटक में इस्तेमाल होने वाली मशीनें नियमित ईवीएम के एक तात्कालिक संस्करण हैं।
हाल ही में गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों में इसी प्रकार की मशीनों का इस्तेमाल किया गया था। ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि उन्हें छेड़छाड़ की जा सकती है क्योंकि मशीन प्रत्येक वोट का एक कागज़ात रिकॉर्ड रखता है, वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपीएटी)।
बता दें कि, पिछले दिनों गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल किया था। लेकिन चुनाव मंडल ने ईवीएमएस के साथ कागज के एक अनिवार्य गिनती करने से इनकार कर दिया था, जो ईवीएमएस के साथ निकलता है।
माइक्रोचिप निर्माता माइक्रोइचिप इंक के अनुसार, उनके उत्पाद हैकिंग, छेड़छाड़ और क्लोनिंग के लिए खुले हैं। अमेरिकी न्यायालय में निर्माता के बयान के अनुसार, मशीन कोड (ऑब्जेक्ट कोड) को बांटने कंप्यूटर प्रोग्राम के स्रोत कोड को बांटने के समान है। वहीं, EC का दावा है कि स्रोत कोड संरक्षित है इसलिए, यह भी गलत है।