जेएसपीएल फाउंडेशन की ओर से आज सामाजिक बदलाव में योगदान के लिए देश के 27 व्यक्तियों और संस्थाओं को राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध सम्मान से अलंकृत किया गया। इसके तहत 10 व्यक्तियों और 10 संस्थाओं को प्रशस्ति पत्र और 1-1 लाख रुपये पुरस्कार के रूप में प्रदान किए गए।
लाइफटाइम एचीवमेंट के लिए राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध जीवन सम्मान से बंगलूरू के सेतुराम गोपालराव नेगिनहाल को सामाजिक वानिकी एवं पर्यावरण संरक्षण में विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद के कर कमलों से जिन्दल समूह की अध्यक्षा सावित्री जिन्दल, अभय ओसवाल समूह की चेयरपर्सन अरुणा ओसवाल, जेएसपीएल के चेयरमैन और कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद नवीन जिन्दल और जेएसपीएल फाउंडेशन की चेयरपर्सन शालू जिन्दल की मौजूदगी में प्रदान किया गया। 2015 में शुरू किए गए इस सम्मान के इस तीसरे संस्करण में अतिरिक्त पांच व्यक्तियों और एक संस्था को समाज सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए विशेष रूप से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग समाज के विकास में जुटे हुए हैं, जिससे हमारा देश मजबूत हो रहा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के करिमुल हक को पद्मश्री सम्मान दिए जाने की कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि मां की मौत के बाद वह अपने क्षेत्र का एंबुलेंस बाबा बन गया क्योंकि प्रत्येक बीमार को अस्पताल तक पहुंचाना उसने अपना मिशन बना लिया। प्रसाद ने कहा कि इस तरह समाज के कमजोर तबकों को सम्मानित करने से देश मजबूत होगा।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ग्रासरूट स्तर पर कार्य कर रहे लोगों और संस्थाओं को सम्मान एवं राष्ट्रीय मंच प्रदान करने के लिए भी जेएसपीएल फाउंडेशन की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे सृजनात्मक लोगों और संस्थाओं से ही हम अपने सपनों के खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं। इस अवसर पर जेएसपीएल के चेयरमैन नवीन जिन्दल ने कहा कि सम्मानित लोगों ने तमाम बाधाओं को पार कर यह मुकाम हासिल किया है। समाज सेवा के प्रति उनका समर्पण हमारे लिए सराहनीय एवं प्रेरणा का स्रोत है। जिन्दल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध सम्मान के माध्यम से उनका योगदान जब समाज में पहुंचेगा तो अनेक अन्य लोग भी देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित होंगे।
इस अवसर पर जेएसपीएल फाउंडेशन की चेयरपर्सन शालू जिन्दल ने कहा कि हमारे देश में बहुत सारे लोग और संस्थान ऐसे हैं जो अपने समर्पण भाव से लोगों के उत्थान के लिए बेहतरीन प्रयास कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे हैं, जिन्हें और जिनके काम को पहचान दिलाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध सम्मान ऐसे ही लोगों को पहचान दिलाने की एक पहल है। हम आज समाज सेवा में उनकी सफलता का जश्न मना रहे हैं। हमारे इस सम्मान के लिए देशभर से अनेक प्रविष्टियां आईं, जिन्हें राष्ट्रीय और प्रादेशिक जूरी ने बेहद पारदर्शी तरीके से चयनित किया।
यह सम्मान कला-संस्कृति, शिक्षा, पर्यावरण, उद्यमिता एवं आजीविका, स्वास्थ्य, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी, जनसेवा, कृषि एवं ग्रामीण विकास, खेल एवं महिला सशक्तीकरण में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जाता है। इसके अलावा लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड भी प्रदान किया जाता है। कार्यक्रम के अंत में वेंकटेश जिन्दल ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।
सम्मानित होने वालों में बंगलूरू के सेतुराम गोपाल राव नेगिनहाल पर्यावरण क्षेत्र में (लाइफ टाइम एचीवमेंट), असम की लखिमी बरूआ, मध्य प्रदेश की संस्था अरण्यानी, नई दिल्ली की मोना माथुर, कर्नाटक के आनंद मल्लिगावाड़, केरल के डॉ. मनोज कुमार, कर्नाटक के नीतेश कुमार जांगीड़, ओडिशा के गंगाधर राउत, तमिलनाडु की बुद्धा आउटकास्ट सोशल सोसाइटी, महाराष्ट्र के अमर श्रीरंग पॉल, मणिपुर का लोकतक फ्लोटिंग एलीमेंट्री स्कूल, उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के रामवीर तंवर, महाराष्ट्र का नेचुरल सॉल्यूशंस, गोरखपुर, यूपी की श्रीती पांडे, पटना का कौशल्या फाउंडेशन, उत्तराखंड का आनंद शंकर, ओडिशा की संस्था स्वास्थ्य स्वराज, ओडिशा की सुमोना कर्जी मिश्रा, गुजरात की ट्रेस्ले लैब्स, राजस्थान की डॉ. कृति भारती, कर्नाटक की संस्था हसीरूडला, गुजरात के दर्पण इनानी, पश्चिम बंगाल की संस्था होप कोलकाता फाउंडेशन, बिहार की सिस्टर ज्योति, हिमाचल प्रदेश की संस्था जागृति शामिल हैं।