जम्मू-कश्मीर में 13 साल के लंबे इंतजार के बाद सोमवार (8 अक्टूबर) को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हो गया है। करीब एक दर्जन जिलों के 422 वार्डों में मतदान सोमवार सुबह सात बजे शुरू जारी है।पहले चरण में 1,283 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण में जम्मू के 247 वार्ड, कश्मीर में 149 और लद्दाख के 26 वार्ड में चुनाव हो रहे हैं।
आतंकवादियों की धमकी के मद्देनजर मतदान केंद्रों और आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। आपको बता दें कि अलगाववादियों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है, वहीं आतंकवादियों ने इन चुनावों में हिस्सा लेने वालों को निशाना बनाने की धमकी दी है।
निर्वाचन अधिकारियों के मुताबिक, आम लोगों के लिए चुनाव की वोटिंग के लिए सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक का समय निर्धारित किया गया है और इसके लिए घाटी के सभी पोलिंग बूथों समेत सार्वजनिक स्थानों और महत्वपूर्ण स्थानों पर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। साथ ही हिंसक प्रदर्शनों की आशंका में दक्षिण कश्मीर और श्रीनगर के कई इलाकों में सेना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है।
जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी लेकिन घाटी में प्रचार अभियान थोड़ा फीका रहा जहां धमकियों, हिंसा और राज्य की दो प्रमुख पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के चुनावों का बहिष्कार करने की वजह से चुनावों पर संशय के बादल मंडरा रहे थे।
पहले चरण के बाद 10 अक्टूबर को दूसरे चरण में 384 वार्ड, तीसरे चरण में 13 अक्टूबर को 207 वार्ड और 16 अक्टूबर को आखिरी चरण में 132 वार्डों में वोट डाले जाएंगे। मतगणना 20 अक्टूबर को होगी। इससे पहले राज्य में 2005 में गुप्त मतदान के जरिए नगर निकाय चुनाव हुए थे और उनका पांच साल का कार्यकाल फरवरी 2010 में खत्म हो गया था।
जम्मू और श्रीनगर नगर निगमों समेत प्रदेश में कुल 1,145 वार्डों के लिए चार चरणों में होने वाले चुनाव के लिए 2,990 उम्मीदवार मैदान में हैं। जम्मू क्षेत्र से कुल 2,137 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि श्रीनगर से 787 उम्मीदवार और लद्दाख क्षेत्र से 66 उम्मीदवार मैदान में हैं।
मतदान की तारीख और उम्मीदवारों से अनजान हैं जम्मू कश्मीर में लोग
जम्मू कश्मीर में शहरी निकाय चुनाव के लिए पहले चरण का भले ही मतदान जारी है, लेकिन यहां अनेक लोगों को इस बारे में बहुत कम मालूम है और उनमें से अधिकतर ने अपने उम्मीदवारों को नहीं जानने तथा मतदान की तारीख पता नहीं होने की शिकायत की। श्रीनगर निवासी सुहैब अहमद ने बताया कि उनके वार्ड के लोग नहीं जानते हैं कि इस बार उनके उम्मीदवार कौन-कौन हैं।
समाचार एजेंसी निजी कंपनी में नौकरी करने वाले अहमद ने कहा, ‘‘यहां किसी भी पूछिए कि क्या उन्हें पता है कि कौन-कौन उम्मीदवार हैं। हर व्यक्ति आपको बताएगा कि उसे कुछ नहीं मालूम। काफी गोपनीयता है।’’ अहमद ने आरोप लगाया कि सरकार को बस यह दिखाने में दिलचस्पी है कि चुनाव हुआ है, उसे उपयुक्त तरीके से चुनाव कराने में कोई रुचि नहीं है।
केवल श्रीनगर ही नहीं, घाटी के अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी अपने वार्डों में चुनाव के बारे में अनजान होने की बात कही। गंदेरबल के इशफाक अहमद ने कहा, ‘‘हमें पता नहीं है कि हमारे वार्ड से चुनाव कौन लड़ रहा है। अब तक कोई चुनाव प्रचार नहीं कर रहा है या घर-घर नहीं जा रहा है। सरकार ने भी चुाव आयोग की वेबसाइट पर उम्मीदवारों का ब्योरा नहीं डाला है। कहीं कोई विवरण नहीं है। केवल उम्मीदवार को ही पता है कि वह चुनाव लड़ रहा है। शायद, उसके परिवार को भी पता नहीं है, इतनी गोपनीयता है।’’
उसने कहा कि ज्यादातर लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे, बस उम्मीदवार के रिश्तेदार एवं मित्र वोट डालेंगे। खालिद नाम के व्यक्ति ने कहा कि वह पहले मतदान को लेकर बहुत रोमांचित था लेकिन अब उसका मानना है कि स्थिति सुधरने तक चुनाव स्थगित कर दिया जाए। गंदेरबल में 16 अक्टूबर को आखिरी चरण में मतदान है।
उम्मीदवारों के बारे में गोपनीयता के अलावा, शहर के कुछ क्षेत्रों में लोगों को यह भी नहीं पता है कि वोट कब डालना है।कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में माहौल चुनाव के लायक नहीं है लेकिन पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय किया क्योंकि केंद्र ने लोगों पर चुनाव थोप दिया। इस पूरी प्रक्रिया में गोपनीयता संदेह को जन्म देती है।