साल 2007 में हुए गोरखपुर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरुवार(22 फरवरी) को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
हिन्दुस्तान.कॉम हिंदी की ख़बर के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज करते हुए योगी पर मुकदमा नहीं चलाने का आदेश दिया है। साथ ही इस मामले में पुन: जांच की अपील को भी खारिज कर दिया है। याचिका में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से इनकार करने के सरकारी आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।
गौरतलब है कि, गोरखपुर में साल 2007 में हुए दंगे योगी आदित्यनाथ के इशारों पर कराए जाने का आरोप लगाया गया था। इसी मामले में उनके खिलाफ केस चलाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
क्या है गोरखपुर दंगा मामला?
दरअसल 26 जनवरी 2007 को को कुछ लड़कों द्वारा एक महिला से छेड़छाड़ के बाद गोरखपुर में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी। पुलिस ने छेड़छाड़ करने वाले आरोपी मनचलों का कुछ दूर तक पीछा भी किया, लेकिन आरोपी मोहर्रम के जुलूस का फायदा उठाकर भीड़ में घुलमिल गए। इसी बीच मोहर्रम के जुलूस में फायरिंग भी हुई, जिसमें कुछ लोग घायल हुए और फिर दो गुटों के बीच सांप्रदायिक हिंसा फैल गई। इस दंगे में कथित रूप से दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गये थे।
वहीं, इस मामले को लेकर परवेज का दावा है कि उसके पास सीएम आदित्यनाथ के कथित रूप से दिए गए भड़काऊ भाषण की वीडियो फुटेज है जो उन्होंने कर्फ्यू लगे होने के दौरान दिए थे। परवेज का यह भी आरोप है कि आदित्यनाथ के साथ उस समय गोरखपुर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल, बीजेपी राज्य सभा एमपी शिव प्रताप शुक्ला, मेयर अन्जु चौधरी और पूर्व बीजेपी एमएलसी वाय डी सिंह भी मौजूद थे।