गुर्जर समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार(8 फरवरी) को एक बार फिर से अपना आंदोलन शुरू कर दिया है। आंदोलनकारियों ने दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर रेलगाड़ियों की आवाजाही रोक दी। राजस्थान में इस आंदोलन की वजह से अब तक वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे के कोटा डिविजन में सवाई माधोपुर-बयाना सेक्शन और निमोड़ा-मलारना ब्लॉक सेक्शन के बीच 14 ट्रेनों को कैंसल किया जा चुका है। इसके अलावा 4 ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है।
इससे पहले शुक्रवार को दिन में गुर्जर संघर्ष समिति (जीएसएस) के सदस्यों ने एक महापंचायत बुलाई। इसके बाद जीएसएस के सदस्य सवाई माधोपुर के पास मलारना डुंगर रेलवे स्टेशन पहुंचे और उन्होंने रेलमार्ग पर ट्रेनों का परिचालन बाधित कर दिया। बता दें कि गुर्जर समुदाय प्रदेश में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में पांच फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
आरक्षण आंदोलन के हिस्से के रूप में सवाई माधोपुर के मकसूदनपुरा में रेलवे ट्रैक पर बैठे गुर्जर समुदाय के सदस्य ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि हमारे पास अच्छा मुख्यमंत्री और एक अच्छा प्रधानमंत्री हैं। हम चाहते हैं कि वे गुर्जर समुदाय की मांगों को सुनें। क्योंकि उनके लिए आरक्षण मुहैया कराना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है।
Members of Gujjar community sitting on railway track in Maksudanpura of Sawai Madhopur in protest as part of reservation movement say "We have good CM&a good PM. We want that they listen to the demands of Gujjar community. It isn't an uphill task for them to provide reservation." pic.twitter.com/lM4TDF7WRh
— ANI (@ANI) February 9, 2019
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, राजस्थान में गुर्जर समुदाय के आरक्षण से जुड़े आंदोलन की वजह से अब तक वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे के कोटा डिविजन में सवाई माधोपुर-बयाना सेक्शन और निमोड़ा-मलारना ब्लॉक सेक्शन के बीच 14 ट्रेनों को कैंसल किया जा चुका है। इसके अलावा 4 ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है।
#UPDATE: 4 trains diverted and 14 cancelled between Sawai Madhopur to Bayana section-Nimoda to Malarna block section in Kota Division of Western Central Railway due to the ongoing reservation movement by the members of Gujjar community in Rajasthan.
— ANI (@ANI) February 9, 2019
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसएस नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि, “हम अपने समुदाय के लिए उसी तरह पांच फीसदी आरक्षण चाहते हैं, जिस तरह केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। सरकार की ओर से हमारी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। कोई हमसे बातचीत करने भी नहीं आया है, इसलिए हमें मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा है।”