देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मोदी सरकार के बीच पिछले कुछ दिनों से घमासान जारी है। यहां तक की यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। खबरों की मानें तो अब केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बीच तनातनी की खबर है। रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई के गवर्नर ऊर्जित पटेल और सरकार में नीतिगत मुद्दों पर पर्याप्त मतभेद हैं।
(Photo Credits: PTI)रिजर्व बैंक के साथ तनाव की खबरों के बीच वित्त मंत्रालय ने बुधवार (31 अक्टूबर) को कहा कि सरकार ने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान किया है और इसे बढ़ाया है। मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर रिजर्व बैंक के साथ गहन विचार-विमर्श किया जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत रिजर्व बैंक की स्वायत्तता संचालन के लिये आवश्यक और स्वीकार्य जरूरत है। भारत सरकार ने इसका सम्मान किया है और इसे बढ़ाया है।’’
मंत्रालय ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार दोनों को अपनी कार्यप्रणाली में सार्वजनिक हित तथा देश की अर्थव्यवस्था की जरूरतों से निर्देशित होना होता है। उसने कहा, ‘‘इसी उद्देश्य के लिये विभिन्न मुद्दों पर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच गहन विचार-विमर्श होता रहता है।’’ हालांकि, बयान में इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ असहमति को लेकर गवर्नर उर्जित पटेल को निर्देश देने के लिए अब तक कभी इस्तेमाल नहीं की गई शक्ति का उल्लेख किया था।
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने विचार-विमर्श के विषयों को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया है। सिर्फ अंतिम निर्णय को ही सार्वजनिक किया जाता है।’’ उसने कहा, ‘‘सरकार इस परामर्श के जरिए स्थिति के बारे में अपना आकलन सामने रखती है और संभावित समाधानों का सुझाव देती है। सरकार ऐसा करना जारी रखेगी।’’ उल्लेखनीय है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ कुछ मुद्दे पर असहमति को लेकर बुधवार तक कभी भी इस्तेमाल नहीं किए गये अधिकार का जिक्र किया था।
रिजर्व बैंक की धारा सात के तहत केंद्र सरकार रिजर्व बैंक को सीधे वह आदेश दे सकती है जिसे वह सार्वजनिक हित में मानती है। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश देने का उल्लेख किया। सूत्रों ने भाषा को बताया कि सरकार ने कम से कम तीन बार अलग-अलग मुद्दों पर धारा सात का उल्लेख किया। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया था कि सरकार ने इस विशेष धारा के तहत कोई निर्णय नहीं लिया है।
रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात केंद्र सरकार को यह विशेषाधिकार प्रदान करती है कि वह केंद्रीय बैंक के असहमत होने की स्थिति में सार्वजनिक हित को देखते हुए गवर्नर को निर्देशित कर सकती है। सरकार बैंकों में त्वरित सुधारात्मक कदम (पीसीए) की रूपरेखा से लेकर नकदी प्रबंधन तक के मुद्दों पर रिजर्व बैंक से असहमत है।
धारा 7 को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा
इस बीच पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात का उल्लेख किए जाने को लेकर केंद्र सरकार की बुधवार को आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हताश है और अर्थव्यवस्था से संबंधित तथ्यों को छुपा रही है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि वह पहले की जिन सरकारों में शामिल रहे हैं उन सरकारों ने कभी भी रिजर्व बैंक कानून 1934 की धारा सात का इस्तेमाल नहीं किया।
चिदंबरम ने एक-के बाद-एक ट्वीट में कहा, ‘‘यदि जैसी खबरें हैं कि सरकार ने रिजर्व बैंक की धारा सात का इस्तेमाल किया है और रिजर्व बैंक को अप्रत्याशित निर्देश दिया है, मुझे डर है कि आज कहीं और बुरी खबरें सुनने को न मिल जाएं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने 1991 या 1997 या 2008 या 2013 में धारा सात का इस्तेमाल नहीं किया। इसे अब अमल करने का क्या औचित्य है? इससे पता चलता है कि सरकार तथ्यों को छुपा रही है और हताशा में है।’’
We did not invoke Section 7 in 1991 or 1997 or 2008 or 2013. What is the need to invoke the provision now? It shows that government is hiding facts about the economy and is desperate
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 31, 2018
उल्लेखनीय है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ कुछ मुद्दे पर असहमति को लेकर आज तक कभी भी इस्तेमाल नहीं किए गए अधिकार का जिक्र किया था। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश देने का उल्लेख किया। समाचार एजेंसी भाषा को सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कम से कम तीन बार अलग-अलग मुद्दों पर धारा सात (1) का उल्लेख किया। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस विशेष धारा के तहत कोई कदम नहीं उठाया है।