देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मोदी सरकार के बीच पिछले कुछ दिनों से घमासान जारी है। यहां तक की यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। खबरों की मानें तो अब केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बीच तनातनी की खबर है। रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई के गवर्नर ऊर्जित पटेल और सरकार में नीतिगत मुद्दों पर पर्याप्त मतभेद हैं।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार से जारी तनातनी की खबरों के बीच आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। निजी टीवी चैनल सीएनबीसी-टीवी 18 और ईटी नाउ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पटेल पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय की तरफ से इन खबरों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इससे पहले खबर थी कि केंद्र सरकार ने आरबीआई कानून की धारा 7 का इस्तेमाल किया है। इस आर्टिकल से सरकार को यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित के मुद्दे पर आरबीआई को सीधे-सीधे निर्देश दे सकती है। सरकार के फैसले को आरबीआई मानने से इनकार नहीं कर सकता। आरबीआई ऐक्ट, 1934 के तहत केंद्र सरकार को मिले इस अधिकार का इस्तेमाल इतिहास में पहली बार किया गया है।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि सरकार अर्थव्यवस्था के तथ्यों को छिपा रही है और बेचैन है। चिदंबरम ने कहा, ”हमने न ही 1991 में, न ही 1997 में और न ही 2008 और 2013 में इस सेक्शन को लागू किया था. इस प्रावधान को अब लागू करने की क्या जरूरत है? ये कदम दिखाता है कि सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ तथ्य छिपा रही है।”
We did not invoke Section 7 in 1991 or 1997 or 2008 or 2013. What is the need to invoke the provision now? It shows that government is hiding facts about the economy and is desperate
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 31, 2018
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के शुरुआती महीनों में सरकार और आरबीआई की दूरियां बढ़ी हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार और आरबीआई के बीच संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल ही में सरकार के हस्तक्षेप की ओर इशारा किया था। विरल ने कहा था कि आरबीआई की स्वायत्तता पर चोट किसी के हक में नहीं होगी। विरल अचार्य ने आरबीआई की स्वायत्तता को लेकर चिंता जाहिर की थी।
अखबार के मुताबिक अगले साल सितंबर में उर्जित पटेल के तीन साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। लेकिन पटेल के सेवा विस्तार की बात तो दूर की है उनके बाकी के कार्यकाल पर भी सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केवल 2018 में ही कम से कम आधे दर्जन नीतिगत मसलों पर मतभेद उभरकर सामने आए। अखबार के मुताबिक उर्जित से मोदी सरकार की नाराजगी ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने को लेकर भी रही है।