पीएम मोदी के गोद लिए गांव की एक रिपोर्ट को लेकर न्यूज वेबसाइट ‘स्क्रोल’ की संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज

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न्यूज वेबसाइट ‘स्क्रोल’ की संपादक व वरिष्ठ पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रामनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन पर यह केस पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर लिखी गई एक खबर को लेकर दर्ज किया गया है। संपादक सुप्रिया शर्मा ने खबर लिखी थी जिसका शीर्षक था- ”वाराणसी के जिस गांव को पीएम मोदी ने गोद लिया था वहां के लोग लॉकडाउन में भूखे।”

सुप्रिया शर्मा

पुलिस ने बताया कि यह प्राथमिकी वाराणसी के डोमरी गांव निवासी माला देवी द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। डोमरी गाँव को प्रधानमंत्री द्वारा आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया गया है। रामनगर पुलिस के अनुसार वरिष्ठ पत्रकार सुप्रिया शर्मा ने कोरोना वायरस (कोविड-19) लॉकडाउन के प्रभाव पर एक खबर के लिए माला देवी का साक्षात्कार लिया था। खबर में कहा गया कि माला देवी ने बताया कि वह एक घरेलू कामगार हैं और उनके पास राशन कार्ड न होने की वजह से लॉकडाउन के दौरान उनको राशन की समस्या उत्पन्न हुई।

पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी में माला देवी ने यह आरोप लगाया है कि सुप्रिया ने उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। वह वह घरेलू कामगार नहीं हैं, बल्कि वह आउटसोर्सिंग के माध्यम से वाराणसी नगरपालिका में स्वच्छता कार्यकर्त्ता के रूप में कार्यरत थीं और लॉकडाउन के दौरान उनको या उनके परिवार को कोई भी समस्या नहीं हुई है।

प्राथमिकी में माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्रिया ने लॉकडाउन के दौरान उनके और उनके बच्चों के भूखे रहने की बात कहकर उनकी गरीबी और जाति का मजाक उड़ाया है। रामनगर पुलिस ने इस मामले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, भारतीय दंड संहिता की धारा 501 और 269 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

‘स्क्रोल’ ने एक बयान जारी कर कहा कि किसी भी तथ्य को गलत तरह से पेश नहीं किया गया है और वो अपनी रिपोर्ट के साथ खड़े हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, Scroll.in ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी के डोमरी गांव की माला का इंटरव्यू 5 जून 2020 को किया था. ‘In Varanasi village adopted by Prime Minister Modi, people went hungry during the lockdown’ नाम के आर्टिकल में उनके बयान को सही तरह से रिपोर्ट किया गया है। Scroll.in अपने आर्टिकल के साथ है। ये FIR स्वतंत्र पत्रकारिता को चुप कराने और डराने की कोशिश है।

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