जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार (13 मार्च) को जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला पर लगाए गए जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत की गई उनकी नजरबंदी समाप्त कर दी, जिसके बाद वह रिहा हो गए है। लेकिन उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती फिलहाल नजरबंद ही हैं।
रिहा होने पर पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘आज मैं आजाद हूं, मेरे पास बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं। फिलहाल, मैं किसी सियासी मुद्दे पर नहीं बोलूंगा जब तक सभी साथी रिहा नहीं हो जाते। अब मैं दिल्ली जाकर संसद में शामिल होऊंगा और आपके लिए बोलूंगा’ हिरासत से रिहा होने के बाद अब्दुल्ला ने आगे कहा कि, मेरी स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सभी सांसदों को धन्यवाद।
गौरतलब है कि, अब्दुल्ला पर दूसरी बार लगाए गए इस कानून की अवधि 11 मार्च को समाप्त हो गई थी। उन पर 15 सितम्बर और फिर 13 दिसंबर को पीएसए लगाया गया था।
#WATCH NC MP Farooq Abdullah released from detention, says," I'm grateful to people of the State&all leaders&people in the rest of the country who spoke for our freedom. This freedom will be complete when all leaders are released. I hope GoI will take action to release everyone". pic.twitter.com/zKS6EamydV
— ANI (@ANI) March 13, 2020
बता दें कि, अब्दुल्ला को केंद्र सरकार द्वारा गत वर्ष पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद पीएसए के तहत पिछले सात महीने से हिरासत में रखा गया था। अब्दुल्ला के अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती, शाह फैजल और कई अन्य नेताओं को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से फिलहाल हिरासत में ही रखा गया हैं। हालांकि इस दौरान कई अन्य नेताओं को शर्तोॆ के आधार पर रिहाई भी दी गई है।
बता दें, कुछ दिन पहले ही आठ विपक्षी पार्टियों ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से मांग की थी कि कश्मीर में हिरासत में रखे गए सभी नेताओं को जल्द से जल्द रिहा किया जाए। हिरासत में रखे गए नेताओं में तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं।