आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की 2010 में हुई हत्या के मामले में अहमदाबाद स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी और छह अन्य को शनिवार (6 जुलाई) को दोषी करार दिया। जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने का प्रयास किया था, जिसके चलते गुजरात हाई कोर्ट के बाहर उनकी हत्या कर दी गई थी। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के. एम. दवे मामले में 11 जुलाई को सजा सुनाएंगे।
अपराध शाखा द्वारा सोलंकी को क्लीनचिट दिए जाने के बाद गुजरात हाई कोर्ट ने जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपा दिया था। समचाार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अदालत ने वर्ष 2009 से 2014 तक गुजरात के जूनागढ़ का प्रतिनिधित्व कर चुके सोलंकी को उनके चचेरे भाई शिव सोलंकी और पांच अन्य के साथ भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोपों में दोषी करार दिया। मामले में दोषी पाए गए पांच अन्य आरोपियों में शैलेष पंड्या, बहादुरसिंह वढेर, पंचेन जी देसाई, संजय चौहान और उदयजी ठाकोर हैं।
Ahmedabad: CBI Court finds seven people guilty in RTI activist Amit Jethva murder case, including former BJP MP Dinu Bogha Solanki. Quantum of punishment to be pronounced on 11th July.
— ANI (@ANI) July 6, 2019
वकील जेठवा ने आरटीआई अर्जी के जरिए दीनू सोलंकी की कथित संलिप्तता वाली अवैध खनन गतिविधियों को उजागर करने की कोशिश की थी। जेठवा ने 2010 में एशियाई शेरों के वास स्थान गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की थी। दीनू सोलंकी और शिव सोलंकी जनहित याचिका में प्रतिवादी बनाए गए थे। जेठवा ने अवैध खनन में उनकी संलिप्तता को उजागर करने के लिए कई दस्तावेज पेश किए थे।
जनहित याचिका पर सुनवाई के समय ही गुजरात हाई कोर्ट के बाहर 20 जुलाई 2010 को जेठवा की हत्या कर दी गई थी। मृतक के पिता भीखाभाई जेठवा के हाई कोर्ट का रूख करने के बाद अदालत ने मामले की नये सिरे से जांच का आदेश दिया था। उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा था कि आरोपियों द्वारा दबाव डालने और भयादोहन करने के चलते करीब 105 गवाह मुकर गए।
जेठवा के पिता भिखाभाई ने शनिवार को आए फैसले को भारतीय न्याय प्रणाली और संविधान की जीत बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह साबित करता है कि भारतीय न्याय प्रणाली अब भी जीवित है और सोलंकी जैसे अपराधी को अदालत के कटघरे में लाया गया।’’ जेठवा के परिवार को कानूनी सहायता मुहैया करने वाले अधिवक्ता आनंद याज्ञनिक ने कहा कि यह एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ आम आदमी की जीत है। (इनपुट- भाषा/एएनआई के साथ)