सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बुधवार (5 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण की अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए जबरदस्त दलीलें पेश की। उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई सहित कुछ न्यायाधीशों के तहत न्यायपालिका की अखंडता की कमी के बारे में व्यापक धारणा का मुद्दा उठाया।
दुष्यंत दवे ने कई हाई-प्रोफाइल राजनीतिक रूप से संवेदनशील निर्णयों के फैसलों की और अदालत का ध्यान आकर्षित किया, जहां न्यायपालिका ने कथित तौर पर खुद को नीचा दिखाया। रंजन गोगोई का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि न्यायपालिका पूर्व CJI द्वारा राज्यसभा के नामांकन और जेड प्लस सुरक्षा कवर स्वीकार करने के बाद क्या निर्णय ले रही है, क्योंकि उनके फैसलों ने राफेल, अयोध्या और सीबीआई जैसे कई अहम फैसलों में केंद्र सरकार का पक्ष लिया।
दवे ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच से कहा कि, “आपको राज्यसभा सीट और जेड प्लस सुरक्षा मिलती है… यह क्या छाप छोड़ती है?… राफेल फैसला, अयोध्या फैसला, सीबीआई फैसला। आप ये निर्णय देते हैं और ये लाभ हैं। ये सभी गंभीर मुद्दे हैं जो न्यायपालिका के मूल में हैं।”
Dave: You get Rajya Sabha seat and Z plus security..
What impression does it give.. Rafale judgement, #Ayodhya judgement, CBI judgement.
You give these judgements and have these benefits. These are all serious issues that strike at the core of the judiciary.#RanjanGogoi— Live Law (@LiveLawIndia) August 5, 2020
दवे यहीं नहीं रुके, उन्होंने पूछा कि केवल कुछ न्यायाधीशों को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले क्यों मिलते हैं? उदाहरण के लिए जस्टिस नरीमन- उन्हें ऐसे मामले कभी नहीं सौंपे जाते हैं! जस्टिस मिश्रा कई संविधान पीठ मामलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि, वह ऐसे ’50 मामलों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।’
दवे ने पीठ को देश की 130 करोड़ आबादी के प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारे में याद दिलाया। उन्होंने कहा, “आप 130 करोड़ भारतीयों के माता-पिता हैं। हम अपने देश के राजनेताओं को जानते हैं। नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखना सर्वोच्च न्यायालय का काम है।”
Dave to Supreme Court bench led by Justice Arun Mishra:
"You are the parents of ???????????? ???????????????????? ????????????????????????????. We know politicians in our country. It's upto SC to uphold rights of citizens"
— Live Law (@LiveLawIndia) August 5, 2020
दवे ने यह कहकर अपनी दलील समाप्त की कि प्रशांत भूषण ने कोई अवमानना नहीं की क्योंकि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि संभवत: यह इस पीठ के समक्ष पेश होने का अंतिम समय था। अपने तर्क के दौरान, दवे ने सुप्रीम कोर्ट बेंच को भूषण द्वारा किए गए भारतीय न्यायपालिका के लिए बहुत बड़ा योगदान भी याद दिलाया। शीर्ष अदालत ने सुनवाई समाप्त करने के बाद आदेश सुरक्षित रखा।
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