उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पिछले साल अगस्त महीने में हुई सैकड़ों नवजातों की मौत मामले में गिरफ्तार इंसेफलाइटिस वार्ड के प्रभारी रहे डॉक्टर कफील खान को बुधवार (25 अप्रैल) को जमानत मिल गई।
file photo- Dainik Bhaskarडॉ. कफील खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से करीब आठ महीने बाद जमानत मिली है। उन्होंने जेल में बिताए आठ महीने के अनुभव को एक समाचार चैनल के साथ शेयर किया है। बता दें कि, डॉ कफील को पिछले साल सितंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद से ही वह गोरखपुर जेल में बंद थे।
समाचार चैनल NDTV को एक इंटरव्यू में डॉ कफील खान ने बताया कि, ‘हां बैरक होते हैं, जो शाम को छह बजे बंद हो जाता थे और सुबह छह बजे तक हमें उसी बैरक में रहना पड़ता था। इसके बाद कोई कैदी थोड़ा-बहुत घूम फिर सकता है। हमारे बैरक की क्षमता 60 कैदियों की थी लेकिन उसमें कभी-कभी 150 कभी 180 तक पहुंच जाती थी।’ साथ ही उन्होंने बताया कि, ‘वहां सिर्फ एक ही टॉयलेट था। सर्दियों में हम लोगों ने रात में पानी पीना कम कर दिया था, क्योंकि रात में अगर टॉयलेट जाना होता था तो लोगों को ऊपर चढ़कर जाना होता था। क्योंकि वहा एक ही टॉयलेट था।’
‘वहां पेशेवर अपराधी थे, इसमें किसी ने हत्या की है तो किसी ने ना जाने क्या? हम लोग जमीन में सोते थे दिन रात मच्छर रहते थे, क्योंकि गंदगी बहुत होती थी। खाने के टाइम सब दौड़ते थे। दिन सिर्फ एक बार शाम को चार बजे चाय मिलती थी।’ साथ ही उन्होंने बताया कि, हालांकि मैंने वहां किताबें पढ़ी। मैंने कुरआन पढ़ा, रोज कुरआन पढ़ा। इंग्लिश में पढ़ा। इस धार्मिक किताब को समझा। जिंदगी के बारे में समझा। चूंकि कुछ भी किसी ना किसी कारण से होता है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर कफील के अनुसार जिस दिन वो जेल भेजे गए, उनकी बेटी का पहला बर्थडे था। अब जब 8 महीने बाद जेल से आए हैं तो उनकी बेटी उनको पहचानती नहीं ओर उनकी गोद से भागती है। कफील कहते हैं, मेरे जेल जाने से मेरा पूरा परिवार मुसीबत में पड़ गया, मेरे भाई अपना कारोबार छोड़ कर कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ गए। मेडिकल कॉलेज से मेरा कोई दोस्त डॉक्टर सरकार के डर से मुझसे मिलने नहीं आया, लोग मेरे घरवालों से मिलने से बचने लगे। उन्हें लगता था कि अगर वो हमारा साथ देंगे तो योगी नाराज हो जाएंगे।
बता दें कि, पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 30 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि एक सप्ताह के दौरान 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
समिति ने गत 20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी, एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश तथा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान तथा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तकिर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इसके अलावा समिति ने डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णमिा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के लेखा विभाग के कर्मचारियों तथा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश की थी। अधिकतर बच्चों की मौतें कथित रूप से आक्सीजन की कमी से हुई थी, लेकिन योगी सरकार आक्सीजन की कमी के दावे को खारिज करती आ रही है।
मानवता की मिसाल बनकर उभरे डॉ. कफील अहमद
बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 48 घंटे के दौरान 36 मासूमों की मौत ने सबको झकझोर दिया था। इस सारी घटना के दौरान डॉक्टर कफील अहमद का नाम उभरकर सामने आया था। उस वक्त मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जब बच्चे ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे थे, तो वहां कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी थे जो उन्हें बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे थे। इन्हीं डॉक्टर्स की फेहरिस्त में एक नाम कफील अहमद का है। जो बच्चों को बचाने के लिए सारी रात जूझते रहे।
रिपोर्ट के मुताबिक रात के दो बज रहे थे। इंसेफेलाइटिस वार्ड के कर्मचारियों ने प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील अहमद को सूचना दी कि अगले एक घंटे बाद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इस सूचना के बाद ही डॉक्टर की नींद उड़ गई। वह अपने कार से मित्र डॉक्टर के अस्पताल गए और वहां से ऑक्सीजन का तीन जंबो सिलेंडर लेकर रात तीन बजे सीधे बीआरडी पहुंचे। तीन सिलेंडरों से बालरोग विभाग में करीब 15 मिनट ऑक्सीजन सप्लाई हो सकी।
उस वक्त मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि डॉक्टर कफील खान ने शहर के आधा दर्जन ऑक्सीजन सप्लायरों को फिर फोन लगाया था तब एक सप्लायर ने नकद भुगतान मिलने पर सिलेंडर रिफिल करने को तैयार हो गया तब डॉ कफील ने तुरंत एक कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड देकर रूपये निकालने भेजा और ऑक्सीजन की व्यावस्था की। डॉ. कफील अहमद को उस वक्त सोशल मीडिया में काफी सराहना की गई थी।
देखिए कफील खान का पूरा वीडियो :
गोरखपुर बीआरडी कांड : डॉ कफ़ील ने कहा मुझे बलि का बकरा बनाया गया
आठ माह बाद जेल से रिहा हुए गोरखपुर बीआरडी कांड के आरोपी डॉ.कफील खान ने आठ माह के अपने जेल के अनुभव को NDTV के साथ सांझा किया उन्होंने कहा कि हमारे बैरक को शाम को 6 बजे बंद कर देते थे. फिर सुबह तक उसी बैरक में रहना होता था. 12 घंटे उस बैरक में बिताने के बाद फिर आप थौड़ा बहुत इधर उधर टहल सकते हो. हमारे बैरक की क्षमता 60 लोगों की थी लेकिन कभी- कभी उसमें 150 कभी 180 हो लोग हो जाते थे और वहां केवल एक ही टॉयलेट था.पूरा शो देखें : https://goo.gl/vGFYWN
Posted by NDTVKhabar.com on Tuesday, 1 May 2018