क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस कर रही थी दरकिनार? दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहीं यह बात

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मध्य प्रदेश की राजनीति में चल रहे सियासी उथल-पुथल के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार (10 मार्च) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया
फाइल फोटो

ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद इस मामले को लेकर दिग्विजय सिंह से कई सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि सिंधिया का पार्टी छोड़ने का असली कारण क्या है? क्या वाकई उन्हें पार्टी ने दरकिनार कर दिया था? इस पर उन्होंने एनडीटीवी से फोन पर बात की, साथ ही दिग्विजय सिंह ने सवालों के जवाब में एनडीटीवी के वीडियो को ट्वीट करते हुए इसके पीछे की पूरी जानकारी भी दी।

दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, ”दरकिनार करने का बिल्कुल भी सवाल नहीं उठता। बल्कि आप मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल क्षेत्र में किसी भी कांग्रेस नेता से व्यक्तिगत तौर पर पूछ सकते हैं और आपको मालूम पड़ जाएगा कि पिछले 16 महीनों में उनकी सहमति के बिना इस क्षेत्र में कुछ भी नहीं किया गया। दुखद, लेकिन मैं उन्हें मोदी-शाह के संरक्षण के तहत शुभकामनाएं देता हूं।”

कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को पार्टी छोड़ने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों के साथ विश्वासघात किया और ‘‘व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा’’ को विचारधारा से ऊपर रखा। सिंधिया पर हमला बोलते हुए, कई कांग्रेस नेताओं ने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 के विद्रोह और सिंधिया राजघरानों की भूमिका का जिक्र किया और साथ ही 1967 में विजया राजे सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने का भी हवाला दिया।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के पर मंडरा रहे संकट के बादलों के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जमकर हमला बोला। गहलोत ने मंगलवार को कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जनता के भरोसे तथा विचारधारा को धोखा दिया है और साबित किया है कि ऐसे लोग सत्ता के बिना नहीं रह सकते। (इंपुट: भाषा के साथ)

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