दिल्ली पुलिस ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में आम आदमी पार्टी (AAP) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ कठोर अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है।

समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अन्य आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अकरम खान ने बताया कि पुलिस ने पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां और कार्यकर्ता खालिद सैफी को भी गिरफ्तार किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हुसैन के विरूद्ध उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर यूएपीए अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने मामला दर्ज किया। उन्हें उत्तरपूर्वी दिल्ली में हिंसा में कथित संलिप्तता को लेकर एक सप्ताह से अधिक समय पहले गिरफ्तार किया गया था। हुसैन को पहले उत्तरपूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान खुफिया ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा की कथित हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस पहले ही जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों-मीरान हैदर और सफूरा जरगर के खिलाफ इस कानून के तहत मामला दर्ज कर चुकी है। दोनों को ही उत्तरपूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जरगर जामिया समन्वय समिति का मीडिया समन्वयक है और हैदर उसका सदस्य है।प्राथमिकी में पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा ‘सुनियोजित साजिश’ थी जिसे जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद और अन्य दो ने कथित रूप से रचा था। इन विद्यार्थियों पर राजद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने और दंगा फैलाने को लेकर भी मामला दर्ज किया गया है।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि खालिद ने दो स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिया था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दुष्प्रचार के प्रसार के लिए, कि कैसे भारत में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जाता है, लोगों से सड़कों पर उतरने और उन्हें जाम कर देने की अपील की थी। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि साजिश के तहत विभिन्न घरों में हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर जमा किये गये।
प्राथमिकी के अनुसार, 23 फरवरी को महिलाओं और बच्चों से जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर सड़कें जाम करवायी गयीं ताकि आसपास के लोगों में तनाव पैदा किया जा सके।
गौरतलब है कि, उत्तरपूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा फैलने के साथ ही 24 फरवरी को सांप्रदायिक संघर्ष छिड़ गया। जिसमें आईबी अधिकारी अंकित शर्मा और हेड कांस्टेबल रतन लाल सहित कम से कम 53 लोग मारे गए थे। जबकि इस हिंसा में कई अन्य घायल हुए थे। राजधानी दिल्ली में चार दिनों तक जारी रही हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हो गए, इनमें 11 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।