लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार (25 अप्रैल) को आम आदमी पार्टी(आप) का मैनिफेस्टो जारी किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।

इसके तहत सबसे पहला एजेंडा केंद्र में मोदी-अमित शाह की जोड़ी को सरकार बनाने से रोकना रखा गया है। मैनिफेस्टो में कहा गया है कि इसके लिए जो कुछ करने की जरूरत पड़ेगी, वह करेंगे। मोदी सरकार के अलावा भारत के संविधान और सेक्युरलिज्म पर यकीन रखने वाली सरकार बनेगा, उसका आप समर्थन करेगी। उम्मीद रहेगी कि वह सरकार दिल्ली की 70 साल पुरानी मांग पूर्ण राज्य के दर्जे को पूरा करेगी।
इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री और ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज दिल्ली के लोगों के साथ सेकेंड क्लास सिटीजन की तरह बर्ताव किया जा रहा है। दिल्ली पूर्ण राज्य बनेगी तो पुलिस जनता के प्रति जवाबदेह होगी, जिससे महिलाएं सुरक्षित होंगी।
केजरीवाल ने कहा कि देश की राजधानी होने के बावजद आज दिल्ली में आम आदमी की जिंदगी दोयम दर्जे की रह गई है। देश के किसी भी अन्य हिस्से का निवासी वोट देता है तो उसके वोट की पूरी ताकत होती है। वह अपने वोट से अपने लिए पूरी राज्य सरकार चुनता है। लेकिन दिल्ली का आम आदमी जब वोट देता है तो वह एक आधी-अधूरी सरकार चुनता है। आखिर आजादी के इतने साल बाद भी दिल्ली के आम आदमी को अपने वोट से अपनी पूरी सरकार चुनने का अधिकार क्यों नहीं मिला?
ऐसा क्यों है कि दिल्ली के बच्चों को स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय चाहिए तो उसे केंद्र सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है। जबिक बाकि राज्यों में नए स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय उसकी चुनी हुई सरकार बनाकर देने के लिए स्वतंत्र है। इसी तरह नौकरी, महिला सुरक्षा, सस्ते घर और व्यापार की सुविधाएं जैसे तमाम मुद्दों के लिए दिल्ली के आम आदमी को केंद्र सरकार की तरफ देखना पड़ता है।


















