दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को माकपा की नेता वृंदा करात से जानना चाहा कि दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शन के सिलसिले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद प्रवेश वर्मा द्वारा दिए गए भाषणों में क्या सांप्रदायिक था, जिनके खिलाफ उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने का अनुरोध किया है।..
याचिकाकर्ता और दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को सुनने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने भाजपा के दो नेताओं द्वारा दिए गए अभद्र भाषा में आपराधिकता पर सवाल उठाया।अपना फैसला सुरक्षित रखने वाले न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अगर नफरत भरे भाषण मुस्कान के साथ दिए जाते हैं तो कोई अपराध नहीं है।
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस सिंह ने पूछा कि, “क्या वो चुनावी भाषण था या सामान्य समय में दिया गया बयान? क्योंकि अगर चुनाव के समय कोई भाषण दिया जाता है तो वह अलग समय होता है, अगर आप सामान्य तरीके से भाषण दे रहे हैं, तो आप कुछ भड़का रहे हैं। चुनावी भाषण में राजनेताओं द्वारा राजनेताओं से इतनी सारी बातें कही जाती हैं और वह भी गलत बात है। लेकिन मुझे अधिनियम की आपराधिकता को देखना होगा। अगर आप मुस्कान के साथ कुछ कह रहे हैं तो कोई अपराध नहीं है। अन्यथा, मुझे लगता है कि चुनाव के दौरान सभी राजनेताओं के खिलाफ 1,000 प्राथमिकी दर्ज की जा सकती हैं।”
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा, ‘‘ये लोग किसको इंगित किया गया? आप कैसे जान सकते हैं कि ‘ये लोग’ का अर्थ किसी खास समुदाय से है? यह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है, वे कोई भी हो सकते हैं। सीधे उकसावा कहां है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाषण में सांप्रदायिक मंशा कहां है?’’
हाई कोर्ट निचली अदालत के 26 अगस्त 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली करात की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। निचली अदालत ने दोनों नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए करात की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि सक्षम प्राधिकारी, केंद्र सरकार से आवश्यक मंजूरी प्राप्त नहीं की गई, जो कि कानून के तहत जरूरी है। उच्च न्यायालय ने करात और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अमित महाजन ने कहा कि निचली अदालत ने सही कहा है कि मामले से निपटने के लिए उसके पास अधिकार क्षेत्र नहीं है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई न्यायाधीश कह रहा है कि उनके पास अधिकार क्षेत्र नहीं है तो उन्हें गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए और यह सही दृष्टिकोण है।
करात की ओर से पेश अधिवक्ता तारा नरूला और अदित एस पुजारी ने दलीलें दी कि दोनों नेताओं के खिलाफ एक संज्ञेय अपराध का मामला बनता है और उनके खिलाफ यहां शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध के संबंध में उनके कथित घृणास्पद भाषणों के लिए प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और वे पुलिस से सिर्फ मामले की जांच करने को कह रहे थे।
वकील ने पूर्व में कहा था कि मजिस्ट्रेट ने मंजूरी की कमी के आधार पर याचिका खारिज कर दी थी और मामले के गुण-दोष पर भी ध्यान नहीं दिया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता वृंदा करात और के एम तिवारी ने निचली अदालत के समक्ष शिकायत देकर संसद मार्ग पुलिस स्टेशन को ठाकुर और वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, निचली अदालत ने कहा कि शिकायत पूर्व मंजूरी के बिना टिकाऊ नहीं है।
माकपा नेता ने अपनी शिकायत में 27 जनवरी 2020 को ठाकुर के भाषण में ‘गोली मारो..’ के नारे लगाने के लिए उकसाने और 28 जनवरी 2020 को वर्मा के कथित अपमानजनक टिप्पणियों का जिक्र किया है। (इंपुट: भाषा के साथ)
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